मौजूदा दौर में लेट मैरिज काफी कॉमन हो गई है, लेकिन आपने अक्सर गौर किया या सुना होगा कि हमारी दादी नानी के जमाने में बाल विवाह और कम उम्र में शादी करने का चलन ज्यादा था, जिसके कारण लोग अपने परदादा या परनाना को भी देख पाते थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले के वक्त में शादियां इतनी जल्दी क्यों होती थी.
- सामाजिक कारण
पहले के समय में समाज के ढांचे में परिवार की जिम्मेदारियों की एक बड़ी अहमियत होती थी. माता-पिता अपनी संतान की शादी जल्दी इसलिए कर देते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सकती है. शादी के साथ एक नया परिवार स्थापित होता था, जो संयुक्त परिवार की परंपरा को बनाए रखता था और सामाजिक संरचना को स्थिरता प्रदान करता था. इसके अलावा ये डर होता था कि अगर बच्चों की शादी जल्द नहीं कराई जाए तो गलत संगत में पड़ सकते हैं या बुरी आदतों को अपना सकते हैं. - मेडिकल फैसिलिटीज की कमी
पहले के जमाने सेहत से जुड़ी चिंताएं काफी ज्यादा होती थी, लोगों को ये डर होता था कि चिकित्सा सुविधाओं के सीमित होने के कारण वो ज्यादा दिन जी पाएंगे कि नहीं. ऐसे में युवाओं की जल्द शादी करके संतान को जन्म दिया जाता था, ताकि पीढ़ियों को बचाया जा सके. - धार्मिक मान्यताएं
सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं भी जल्द शादी की परंपरा का समर्थन करती थीं. कई समाजों में यह माना जाता था कि शादी के जरिए एक इंसान अपनी सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को पूरा करता है. विवाह को सिर्फ दो लोगों के बीच बंधन के रूप में नहीं देखा जाता था, बल्कि इसे एक सामाजिक कर्तव्य और धर्म का हिस्सा माना जाता था. - बुजर्गों को सहारा
तब लड़के और लड़कियों की शादी इसलिए जल्दी कराई जाती थी ताकि परिवार के अंदर कई यंग मेंबर मौजूद हों ताकि बुजुर्गों की देखभाल अच्छी तरह हो सकते. इसलिए उम्रदराज लोगों को सहारा मिल जाता था. - शिक्षा की कमी
पहले की जमाने में शिक्षा की कमी थी, जिसके कारण लोग ये नहीं जानते थे कि बहुत छोटी उम्र में शादी करने के क्या नुकसान हो सकते हैं. इसके अलवा तब करियर बनाने और हायर एजुकेशन की चिंताएं कम होती थीं, इसलिए जल्दी शादी उनके लिए एक अच्छा विकल्प होता था.