कोरोना से होने वाला निमोनिया आखिर क्यो घातक, जानलेवा बने कोविड -19 निमोनिया का कारण खोज निकाला वैज्ञानिकों ने, इस वजह से हो रही मौत

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नई दिल्ली / कोरोना संक्रमण के दौरान लंग्स में संक्रमण साफतौर पर नजर आता है। इस दौरान होने वाला निमोनिया जानलेवा साबित होता है। कई मरीजों को वेंटिलेटर पर डालने के बावजूद डॉक्टर उनकी जान बचाने में कामयाब नहीं हो पाते। बताया जाता है कि अक्सर कई मामलों में संक्रमित लंग्स काम करना बंद कर देते है। इस तरह के मामलों को देखते हुए अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी तरह के पहले अध्ययन में कोविड-19 के गंभीर रोगियों के फेफड़ों की प्रतिरक्षक कोशिकाओं का क्रमबद्ध तरीके से विश्लेषण किया है | ऐसे मरीजों की तुलना निमोनिया पीड़ितों से कर इस तुलनात्मक विश्लेषण से पता लगाया है कि नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण अपेक्षाकृत अधिक तेजी से कैसे फैलता है।

अमेरिका में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड-19 में निमोनिया की तुलना में अधिक जटिलता का कारण संक्रमण या बीमारी का अधिक गंभीर होने की तुलना में अधिक समय तक रहना है। उन्होंने वेंटिलेटर पर कोविड-19 के 86 रोगियों के फेफड़ों के तरल का विश्लेषण किया और उसकी तुलना विभिन्न प्रकार के निमोनिया से ग्रस्त वेंटिलेटर पर मौजूद 256 रोगियों के फेफड़ों के तरल से की। इस अध्ययन से डॉक्टरों को संक्रमित मरीजों के इलाज में मदद मिलेगी।

इस नए अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस फेफड़े के बड़े क्षेत्रों को तेजी से संक्रमित करने के बजाय अनेक छोटे क्षेत्रों में पैठ बना लेता है | वह प्रतिरक्षक कोशिकाओं पर कब्जा करके कुछ दिन या सप्ताह की अवधि में श्वसन तंत्र में फैल जाता है। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण लंग्स को काफी नुकसान पहुंचाता है। यह धीरे-धीरे फेफड़ों में फैलता है और रोगी को बुखार बना रहता है। यह रक्तचाप कम करता है और गुर्दों, मस्तिष्क, हृदय तथा रोगी के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुंचाता है।

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