रायपुर: छत्तीसगढ़ में दर्जनों पत्रकार संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए राज्य सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून को सही मायनों में लागू करने की मांग की है। प्रदेश भर से जुटे पत्रकारों ने अपने सम्मलेन में उन पर दर्ज फर्जी प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। भ्रष्टाचार से जुड़ी रिपोर्टिंग करने पर प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा जिला बाकि हो, जहाँ पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल में दाखिल ना कराया गया हो। प्रदेश की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के बीते 5 सालों में सर्वाधिक पत्रकारों को कई अलग-अलग मामलों में फंसाया गया है, प्रभावित पत्रकार अपना काम-धाम छोड़ पुलिस थानों और कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे है।
ऐसे संघर्षरत पत्रकारों ने शासन से सवाल किया कि क्या छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ रिपोर्टिंग करना अपराध है ? सम्मेलन में छत्तीसगढ़ कैडर के आल इंडिया सर्विस के वरिष्ठ अफसरों को ठिकाने लगाकर जूनियर अधिकारियों द्वारा सत्ता पर काबिज होकर पत्रकारों के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कर उन्हें पताड़ित किये जाने की परंपरा पर रोक लगाने की मांग भी की गई। ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाया गया। दरअसल पूर्ववर्ती सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रकरणों की जांच करने के बजाय खबर प्रकाशित-प्रसारित करने वाले पत्रकारों को ही ठिकाने लगा दिया था।
राजधानी रायपुर में आयोजित सम्मेलन में मौजूदा बीजेपी की विष्णुदेव साय सरकार से पत्रकारों ने दागी अफसरों के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही की मांग की है। प्रदेश में दर्जनों आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी है, जिनके खिलाफ गंभीर शिकायते है। कई मामलों में तो ऐसे दागी अफसर ED और सीबीआई की जांच के दायरे में है।हालांकि चंद प्रकरणों में ही कुछ एक आईएएस अफसरों को जेल की हवा खानी पड़ी है। लेकिन ज्यादातर अन्य गंभीर प्रकरणों में आल इंडिया सर्विस के कई अफसरों की लिप्तता पाई गई है।
पत्रकारों ने ऐसे अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की मांग की है। पत्रकारों पर दर्ज मामलों को लेकर तमाम संगठनों ने सरकार से प्रभावी कदम उठाने की गुहार लगाई है। रायपुर में आयोजित सम्मेलन में विचार-मंथन के बाद संयुक्त पत्रकार संगठनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भी सौंपा। एक नजर कार्यक्रम में उपस्थित, वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के संबोधन पर….