धर्म डेस्क : हिंदू धर्म शास्त्रों और पुराणों में स्नान का महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार ऐसे लोग जो रोज स्नान नहीं करते वे पाप के भागीदार बनते हैं। स्नान करना हमारे नित्य क्रियाओं में शामिल है। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं तो प्रतिदिन स्नान नहीं करते। ऐसे लोगों के लिए धर्म शास्त्रों को पुराणों में काफी कुछ कहा गया है। स्नान के रहस्यों के बारे में भी बताया गया है। इसमें बताया गया है कि व्यक्ति को क्यों प्रतिदिन स्नान करना चाहिए ? गरुड़ पुराण में भगवान, पक्षीराज गरुड़ को स्नान के महत्व के बारे में बताते है। वे कहते है कि, ऐसे लोग जो प्रतिदिन स्नान करते हैं,उन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति ब्रह्मा मुहूर्त में उठकर धर्म और अर्थ का चिंतन करता है,शास्त्र कहते है कि उन्हें लौकिक और परलौकिक फलों की प्राप्ति भी होती है। पुराणों में बताया गया है कि स्नान करने के लिए हमेशा स्वच्छ जल का ही प्रयोग करना चाहिए। हमेशा प्रात: काल में ही स्नान करने से पापकर्म भी नष्ट हो जाते हैं।
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स्नान क्योँ जरुरी है ? इसे लेकर कहा जाता है कि रात्रि में सोते समय व्यक्ति के मुख से लार आदि गिरते हैं, जिससे वह अपवित्र हो जाता है। इसलिए सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद ही धार्मिक कार्य शुरू करें। कहते है कि बिना स्नान के धार्मिक कार्य जैसे कि पूजा-पाठ करते हैं तो इसका कोई फल प्राप्त नहीं होता। यही नहीं उल्टा आप पाप के भागीदार बनते हैं। ऐसे व्यक्ति को गरुड़ पुराण के अनुसार पापी माना जाता है। पुराण में कहा गया है कि ऐसे व्यक्ति जीवन भर परेशानियों से घिरे रहते हैं। उनके प्रतिदिन स्नान ना करने से अलक्ष्मी और कालकर्णी कार्य में बाधा डालती है।
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गरुड़ पुराण में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह स्नान नहीं करते वह जाने-अनजाने में नकारात्मक शक्तियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। जहां अपवित्रता होती है वहां नकारात्मकता का वास होता है। गरुड़ पुराण में अलक्ष्मी और कालकर्णी को अनिष्ट शक्तियां के रूप में दर्शाया गया है।
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धर्म पुराण में अलक्ष्मी को मां लक्ष्मी की बहन कहा जाता है. लेकिन अलक्ष्मी मां लक्ष्मी से बिल्कुल विपरीत हैं. मां लक्ष्मी को धन और अलक्ष्मी को निर्धनता की देवी माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन स्नान नहीं करते उनके घर पर अलक्ष्मी का वास होता है। ऐसे घर पर हमेशा धन का अभाव के साथ कालकर्णी की विघ्न डालने वाली शक्ति का वास होता है। प्रतिदिन स्नान न करने और अपवित्र लोगों के कार्य में ये शक्ति बाधा उत्पन्न करती हैं।