उलझी पहेली: छत्तीसगढ़ फर्जी सेक्स सीडी कांड का निर्माता-निर्देशक आखिर कौन ? पूर्व मुख्यमंत्री को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती ? पसोपेश में सीबीआई, मुख्यमंत्री साय सरकार के अगले कदम का इंतज़ार….

0
31

रायपुर: छत्तीसगढ़ के फर्जी सेक्स सीडी कांड के निर्माता-निर्देशक आखिर कौन है ? यह पहेली अभी भी उलझी हुई है। दरअसल, मामले की सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने पुख्ता साक्ष्य व आधार सुनिश्चित नहीं होने के चलते पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल को बरी कर दिया है। हालांकि शेष आरोपियों के खिलाफ मुक़दमा जारी रहेगा। सूत्र तस्दीक करते है कि फर्जी सेक्स सीडी कांड के मुख्य आरोपी बघेल को सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा बरी किये जाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी की जा रही है।

यह भी बताया जा रहा है कि पीड़ित पक्षों ने अभियोजन पक्ष और महाधिवक्ता कार्यालय के जरिये पेश दलीलों के साथ-साथ बचाव पक्ष में से एक पूर्व मुख्यमंत्री बघेल द्वारा पेश किये गए तथ्यों के अवलोकन के बाद विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है। बता दे कि मंगलवार को रायपुर की विशेष अदालत ने फर्जी सेक्स सीडी कांड से जुड़े प्रकरण में बचाव पक्ष की दलीलों के मद्देनजर आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को बरी कर दिया था।सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने कहा था कि उक्त आरोपी के खिलाफ कोई पुख्ता साक्ष्य और मुकदमा चलाने का कोई स्पष्ट आधार नहीं है, इसे देखते हुए उन्हें बरी किया जाता है।

जानकारी के मुताबिक बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मनीष दत्त ने अदालत में दलील दी कि उनके पक्षकार द्वारा न सीडी को बनवाया और न ही किसी को वितरित किया गया था। ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ किसी भी तरह का आपराधिक प्रकरण नहीं बनता है। इस दौरान विद्वान अधिवक्ता ने सीबीआई की विवेचना पर क़ानूनी सवाल उठाते हुए साफ किया कि कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है। 

उधर निचली अदालत से राहत मिलते ही अपने एक्स हैंडल पर भूपेश बघेल ने पोस्ट किया कि ‘सत्यमेव जयते’। पूर्व मुख्यमंत्री के इस ट्वीट के बाद सीबीआई की विवेचना सवालों के घेरे में बताई जा रही है। यही नहीं छत्तीसगढ़ महाधिवक्ता कार्यालय की भूमिका को लेकर भी माथापच्ची का दौर जारी रहा। राजनैतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री का इस प्रकरण से ‘बरी’ होना कई नए संकेतों की ओर इशारा कर रहा है। प्रदेश में पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में अक्टूबर 2017 में एक कथित सेक्स सीडी ने हड़कंप मचा दिया था। पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने मामले की सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे। 

राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल जब बरी हो गए है, तो आखिर फर्जी सेक्स सीडी के असली निर्माता-निर्देशक कौन है ? उन्हें बेनकाब करने के मामले में सीबीआई आखिर क्यों कमजोर पड़ गई। सीबीआई की विवेचना को लेकर अब कानून के जानकारों के अलावा नेता नगरी में भी गहमा-गहमी दिखाई दे रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के बरी होने के बाद प्रकरण में पीड़ित पक्षकार राजेश मूणत की ओर से सभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। यह चर्चा भी सरगर्म है कि फर्जी सेक्स सीडी कांड की विवेचना में मुख्य संदेहियों में शामिल उद्योगपति सुरेश गोयल की भूमिका को लेकर चार्जशीट में कोई स्पष्ट जानकारी दर्ज नहीं की गई है।

जबकि इस सीडी के निर्माण और लेन-देन का एक ऑडियो वायरल भी हुआ था। दावा किया जा रहा था कि यह ऑडियो क्लिप एक अन्य आरोपी रिंकू खनूजा ने सीबीआई के तत्कालीन अधिकारियों को उपलब्ध कराया था। इस ऑडियो के वायरल होने के चंद दिनों बाद ही रिंकू खनूजा की लाश फांसी पर लटकी पाई गई थी। कानून के जानकारों के मुताबिक ऑडियो क्लिप में उद्योगपति गोयल और लवली खनूजा की वार्तालाप में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आने के बावजूद चार्जशीट में इसका हवाला तक दर्ज नहीं है। 

यह भी बताया जाता है कि प्रदेश में गोयल के स्वामित वाले एक चैनल में सेक्स सीडी का खुलासा करते हुए पहले इस सीडी को पूर्व मंत्री राजेश मूणत की सीडी बताया गया था। लेकिन चंद पलों बाद ही उस सीडी को फर्जी करार देने में इस चैनल ने देरी नहीं की थी। यह सीडी चैनल के दफ्तर में आखिर किन स्रोतों के माध्यम से पहुंची ? प्रसारण हेतु इसकी प्रमाणिकता कहाँ परखी गई ? समेत कई वैधानिक जिम्मेदारी तय करने की पहल सीबीआई के तत्कालीन अधिकारियों ने आखिर विवेचना के दौरान क्यों नहीं की ? इसे लेकर भी सवाल खड़े किये जा रहे है।

छत्तीसगढ़ के सेक्स सीडी कांड ने एक बार फिर राजनैतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के पूर्व सलाहकार विनोद वर्मा और कारोबारी कैलाश मुरारका समेत अन्य आरोपियों की दलीलों का राजनैतिक गलियारें में इंतज़ार किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री के बाद इन आरोपियों को भी प्रकरण से बरी होने की उम्मीद जगी है। फ़िलहाल, लोगों की निगाहे छत्तीसगढ़ सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई है। यह देखना गौरतलब होगा कि बीजेपी सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को बरी किया जाने के मामले में निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के लिए अपील दायर करेंगी या नहीं ?