बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का गलियारा ”नान घोटाले की लाल डायरी” के गायब होने के मामले को लेकर गरमाया हुआ है।इस बात को लेकर माथापच्ची हो रही है कि आखिर किसने लाल डायरी गायब करवाई ? इस साजिश में आखिर किसका हाथ है ? महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गायब कराने से लाभान्वित होने वाले आरोपियों की साजिश और संरक्षण को लेकर माथापच्ची शुरू हो गयी है। जानकारों की दलील है कि गायब डायरी की बरामदगी और साजिश में शामिल तत्वों के खिलाफ FIR दर्ज कराने को लेकर छत्तीसगढ़ शासन का रुख नरमी भरा क्यों है ?

बताया जाता है कि अचानक इस प्रकरण की लाल डायरी गायब हो जाने से अदालत भी हैरत में है। नान घोटाले की हाईकोर्ट में चर्चा गर्म है। शुक्रवार को हमर संगवारी की ओर से बहस पूरी हो गई है | उसने मामले में हाईकोर्ट से स्वतंत्र एजेंसी या सीबीआई से जाँच करने की मांग की है |

सुनवाई में अपनी दलील को पक्षकार वीरेन्द्र पाण्डेय और मिड डे मिरर के वकील ने ठोस रूप से रखा। प्रदेश के बहुचर्चित नान घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता व अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की बहस पिछली बार पूरी हो गई थी |सुनवाई के दौरान उन्होंने कोर्ट में बताया कि इस बड़े घोटाले में एसीबी ने ताबड़तोड़ छापामार कार्रवाई की थी। ACB – EOW के छापे में से जो साक्ष्य एकत्रित किये गए ,उसमें सही तरिके से जाँच नहीं की गई |

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस घोटाले का साक्ष्य जिस लाल डायरी में था | वह अब गायब है, इसलिए कोर्ट से मांग की गई कि इस घोटाले को कोर्ट की निगरानी में जाँच हो | उनकी बहस पूरी होने के बाद हमर संगवारी की ओर से बहस शुरू की गई | इसके अधिवक्ता सुदीप जौहरी ने जस्टिस पी सेम कोशी की स्पेशल बेच कप बताया कि किस तरह राशन कार्ड बनाए जातें थे | जिला अदालतों में अब नियमित सुनवाई शुरू हो जाने से माना जा रहा है कि अब नान घोटाले की जाँच और सुनवाई में तेजी आएगी।