उपेन्द्र डनसेना ।
रायगढ़। नए पुलिस अधीक्षक ने पद्भार ग्रहण करते ही ताबडतोड कार्रवाई करते हुए तेज तर्रार पुलिस अधिकारी होनें के संकेत दे दिए हैं और अलग-अलग ढंग से जिले के सभी थानेदार अचानक सक्रिय होकर अपने-अपने ढंग से जुआ, सट्टा, अवैध शराब, कबाड़ जैसे मामलों में कार्रवाई करते हुए यह दर्शा रहे हैं कि वे अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं, जबकि हकीकत से कोसो दूर यह कार्रवाई महज एक खानापूर्ति है चूंकि हर नए पुलिस अधीक्षक के आने के बाद थानेदार कथित सलामी देने की तर्ज पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश करता है।
लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक शहर के हर गली मोहल्ले में बिक रहे अवैध गांजा के मामले में एक भी कार्रवाई नही होना यह बताता है कि थानेदारों की सेटिंग अभी भी जारी है। बदहाल टे्रफिक व्यवस्था और अवैध गांजे की बिक्री जैसे कई जनहित के कार्य है जिसको लेकर नए पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह योजनाबद्ध तरीके से काम कर सकते हैं लेकिन पुरानी शैली के माध्यम से पुलिस अधीक्षक यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके कार्यकाल में गुण्डे तत्वों का आतंक अवैध कबाड के कारोबार के अलावा जुआ, सट्टा चलाने वालों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी।
लगातार हो रही कार्रवाई से पूरे जिले में अचानक बडी-बडी कार्रवाई देखने को मिल रही है जबकि इन सब के पीछे पहले भी संबंधित थानेदार अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए ईमानदारी से कार्य कर सकते थे, लेकिन नए पुलिस अधीक्षक को खुश करने के लिए ताबडतोड सक्रियता दिखाने की होड सी लग गई है। देखना यह है कि पुलिस कप्तान अपने खुद के नेटवर्क से रायगढ़ जिले में बढ़ते अपराधों की रोकथाम के लिए अपनी कोई नई योजना बना पाते हैं या नही इसके अलावा जिले में तेजी से बढ़ते गांता तस्करी के मामले तथा गर्म गोश्त के नए कारोबार पर लगाम लगा पाते हैं या नही। वैसे भी चाहे कबाड चोरी के मामले में या सट्टेबाजी जिस तरह से इनके सरगनाओं पर सही ढंग से कार्रवाई नही हो पाई है। उसी तरह शहर के बडे सट्टे खाईवाल भी अब तक पुलिस की गिरफ्त में नही आ सके हैं।
