राज्यसभा में जब आमने-सामने आए राजा और महाराजा, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया का हुआ आमना- सामना, नज़रों ही नज़रों में हुई मुलाकात, एक दूसरे के लिए जोड़े हाथ

0
8

दिल्ली वेब डेस्क / राजस्थान के सियासी जंग के बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सचिन पायलट को सलाह दी थी कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कदम ना उठाये | उन्होंने कहा था कि पहली बार आज सचिन ने उनका फ़ोन नहीं उठाया | इस वाकये के दो दिन बाद दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया का राज्यसभा में आमना -सामना हुआ | दरअसल राज्यसभा में आज 45 नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ग्रहण की | इनमें 36 सांसद पहली बार राज्यसभा में दाखिल हुए हैं | हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव और उपचुनाव में 20 राज्यों से 61 सदस्य राज्यसभा पहुंचे | इसमें 45 सदस्यों ने आज शपथ ली |

शपथ लेने वाले प्रमुख नेताओं में शरद पवार, दिग्विजय सिंह और रामदास अठावले शामिल है | लेकिन सदन में सभी की निगाहे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिकी थी | उन्होंने भी बीजेपी के राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली |

सदन में दिलचस्प नजारा उस समय दिखाई दिया जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह का आमना-सामना हुआ | दोनों के चेहरे पर चुटीली मुस्कान थी | हालाँकि दोनों ने मास्क पहना हुआ था | सिंधिया और दिग्विजय दोनों ने एक-दूसरे के सामने हाथ जोड़कर अभिवादन किया | इस दौरान राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष -विपक्ष और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद दोनों के करीब मौजूद थे | उन्होंने ने भी दोनों को हाथ जोड़कर नमस्कार किया |

राज्यसभा में सिंधिया और दिग्विजय सिंह की इस मुलाकात पर कई सदस्यों की निगाहे लगी हुई थी | दरअसल यह मुलाकात इसलिए भी खास है क्योंकि दोनों नेता एक ही राज्य मध्य प्रदेश से आते हैं, यही नहीं कमलनाथ सरकार की रवानगी के दौरान से दोनों की अदावत भी चर्चा में रही | 5 माह पूर्व मार्च महीने में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला तो दिग्विजय ने खुले तौर पर कमलनाथ का समर्थन किया था | कहा जाता है कि कांग्रेस में सिंधिया को हाशिये में रखने की योजना दिग्गी राजा ने ही तैयार की थी | सिंधिया की बगावत के पीछे एक वजह उन्हें राज्यसभा सीट भी दूर रखना थी |

मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार की तमाम राजनीतिक खींचतान के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बड़ा सियासी उलट फेर कर अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस की सरकार ही गिरा दी थी | यही नहीं वे अपने साथियों सहित बीजेपी में शामिल हो गए थे | माना जा रहा है कि इस सियासी ड्रामे के बाद पहली बार राजा और महाराजा का आमना सामना हुआ है | इतिहास के जानकार बताते है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया राजशाही के लिहाज से ग्वालियर स्टेट के महाराजा है | जबकि दिग्विजय सिंह राघोगढ़ के राजा है |