जो कभी नहीं हुआ भारत के वीरों ने कर दिखाया, 20,942 फीट ऊंची चोटी पर तिंरगा लहराकर बदल दिया नाम, बौखलाया चीन….

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चीन एक बार फिर भारत से नाराज हो गया है. भारत अपने वीरों के किए गए कामों से गदगद है. अरुणाचल प्रदेश में एक अज्ञात 20,942 फुट ऊंची चोटी पर भारतीय पर्वतारोहियों ने चढ़ने में सफलता हासिल की है. NIMAS की टीम 20,942 फीट ऊंची जिस चोटी परचढ़ाई की है, जिस पर अभी तक कोई नहीं चढ़ पाया था.

दरअसल, भारतीय पर्वतारोहियों ने जिस चोटी पर पहली बार चढ़ाई की और ऊपर जाकर तिरंगा लहराया है, उस चोटी को चीन अपना मानता है, चोटी ही क्या पूरा अरुणाचल प्रदेश ही चीन अपना हिस्‍सा मानता है. जिसको लेकर आए दिन विवाद भी होता रहता है. जब भारत के वीर इस अनाम चोटी पर पहुंचे तो उसका नाम भी रख दिया. अरुणाचल प्रदेश की एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने पर चीन बौखला गया. गुरुवार को नाराजगी जताते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश का यह हिस्‍सा हमारा है. चीन ने इसे ‘चीनी क्षेत्र’ में अवैध अभियान करार दिया.

राष्ट्रीय पर्वतारोहण एवं साहसिक खेल संस्थान (एनआईएमएस) की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश की 20,942 फुट अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई करने के बाद इस चोटी का नाम छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला किया, जिनका जन्म 1682 में मोन तवांग क्षेत्र में हुआ था. एनआईएमएएस अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में स्थित है जो रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है. रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखना उनकी बुद्धिमत्ता और उनके योगदान के प्रति एक श्रद्धांजलि है.

इस मामले पर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आपने जो कहा, उसकी मुझे जानकारी नहीं है. मुझे व्यापक रूप से यह कहना चाहिए कि जांगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है, और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में तथाकथित ‘अरुणाचल प्रदेश’ स्थापित करना अवैध और अमान्य है. चीन का लगातार यही रुख रहा है.’’ चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है. भारत यह कहते हुए चीन के दावों को खारिज करता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा है.

रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले दिरांग स्थित राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान (NIMAS) के 15 सदस्यों की एक टीम ने पिछले शनिवार को चोटी पर चढ़ाई की और तवांग में पैदा हुए छठे दलाई लामा, त्सांगयांग ग्यात्सो (17वीं-18वीं शताब्दी ई.) के सम्मान में इसका नाम ‘त्सांगयांग ग्यात्सो चोटी’ रखा. सेना कई साहसिक अभियान भेजती है, लेकिन कई लोग इसे दोहरे उद्देश्य वाला प्रयास मानते हैं, जिसका उद्देश्य अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को खारिज करना भी है. चीन भारतीय राज्य को ‘जंगनान’ कहने पर जोर देता है. छठे दलाई लामा के नाम पर चोटी का नाम रखना चीनियों को भी रास नहीं आया, इस संस्था के महत्व को कम करने की कोशिश की है, जो बीजिंग द्वारा कब्जा किए जाने से पहले तिब्बत के एक स्वतंत्र इकाई के रूप में अस्तित्व की याद दिलाती है.

निमास के निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में अभियान को 6,383 मीटर ऊंची चोटी पर विजय पाने में 15 दिन लगे. रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल एम रावत के अनुसार, यह चोटी तकनीकी रूप से इस क्षेत्र की सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात चोटियों में से एक थी और इसे “बर्फ की विशाल दीवारों, खतरनाक दरारों और दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित कई चुनौतियों” के बाद हासिल किया गया.