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ये क्या, भारतीय हैंडीक्राफ्ट के बड़े – बड़े शोरूम सिर्फ चपरासियों के हवाले, भगवान भरोसे कॉयर बोर्ड, शोरूम मिस मैनेजमेंट का शिकार, एक तिहाई पर लगने वाला है ताला, देश में हथकरघा उद्योग को लगेगा तगड़ा झटका, दिल्ली के नेहरू प्लेस, देहरादून, जयपुर, कानपुर, इलाहाबाद, इंदौर, अगरतला, गंगटोक, पालघाट और मदुरई स्थित शोरूम होंगे बंद

नई दिल्ली / देश – विदेश में भले ही भारतीय हैंडीक्राफ्ट की भारी मांग हो लेकिन भारत में हथकरघा उद्योग के बल पर चलने वाले कॉयर बोर्ड की हालत बेहद खराब है। केंद्रीय लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कॉयर बोर्ड के एक तिहाई से अधिक शोरूम बंद किए जा रहे हैं। इसके लिए जोर – शोर से कवायत जारी है | इन बंद होते शोरूम की सुध लेने वाला कोई नहीं | यदि ये शोरूम बंद हुए तो यहाँ तैनात हज़ारों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी की समस्या पैदा हो जाएगी |

हालाँकि इसकी शुरुआत हो चुकी है | वेतन नहीं मिलने से इन कर्मचारियों के यहाँ लाले पड़े है | दरअसल ये शोरूम कोरोना संक्रमण और उससे उत्पन्न स्थिति से नहीं और ना ही बाजार में आई मंदी से बंद हो रहे है, बल्कि कॉयर बोर्ड का कुप्रबंधन के चलते इनके शटर गिर रहे है | न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए यहाँ तैनात कर्मचारियों और चपरासियों का कहना है कि इसके लिए कॉयर बोर्ड जिम्मेदार है।

देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी और उनके गृह प्रदेश गुजरात की राजधानी अहमदाबाद स्थित कॉयर बोर्ड के शोरूम में न तो कोई सेल्समैन है और ना ही मैनेजर। ये दो ही नहीं इनके जैसे कई शोरूम काफी समय से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों यानी चपरासियों के हवाले हैं। सबसे बड़े समुद्र तट वाले प्रदेश गुजरात में औद्योगिक विकास के लिए बोर्ड का कोई कर्मचारी ही नहीं है। यही हाल वाराणसी समेत अन्य राज्यों के शोरूम का है | न्यूज़ टुडे की पड़ताल में पता चला कि बीते 5 सालों में ना तो केंद्र सरकार और ना ही मंत्रालय में तैनात किसी अफसर ने कॉयर बोर्ड की सुध ली | नतीजतन इसकी हालत बत से बतर होती चले गई |

बताया जाता है कि पिछले 17 वर्षों से कॉयर बोर्ड में कोई स्थाई मार्केटिंग डायरेक्टर नहीं है। यही वजह है कि शोरूम की बिक्री 22 करोड़ से घटकर आठ करोड़ रह गई है। माह दर माह बिक्री और मुनाफा लगातार घटते चला गया | इसीलिए बोर्ड अपने 29 में से 10 शोरूम बंद करने का फैसला लिया है। इनमें दिल्ली के नेहरू प्लेस, देहरादून, जयपुर, कानपुर, इलाहाबाद, इंदौर, अगरतला, गंगटोक, पालघाट और मदुरई स्थित शोरूम शामिल हैं।

बताया जाता है कि घाटे में तो वाराणसी और अहमदाबाद के शोरूम भी हैं लेकिन प्रधानमंत्री के चुनाव क्षेत्र और गृह प्रदेश में होने की वजह से वह बंद होने से बच गए हैं। जो बच भी गए हैं उन शोरूम में सामान ही नहीं है क्योंकि बोर्ड द्वारा स्वीकृत विक्रेताओं से सामान खरीदने पर सभी शोरूम पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और बोर्ड स्वयं खरीद कर उन्हें सामान दे नहीं रहा है।

मौजूदा हालात को लेकर सांसदों ने मंत्रालय के अफसरों और मंत्री को भी पत्र लिखा है | लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ है | पूर्व केंद्रीय मंत्री शिव प्रताप शुक्ल, कौशांबी से सांसद विनोद सोनकर और राज्यसभा सदस्य डॉ अशोक वाजपेयी सहित लगभग आधा दर्जन सांसदों ने केंद्रीय लघु, सूक्ष्म एवं मझोले उद्योग मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर कॉयर बोर्ड की दशा सुधारने का आग्रह किया है।

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बताया जाता है कि मंत्री नितिन गडकरी कोरोना संक्रमित हो गए थे | इसका असर उनके कामकाज में भी पड़ा था | अब संसद में भी इस मामले को उठाने के प्रयास चल रहे है | सांसदों के मुताबिक कॉयर बोर्ड लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं। ऐसे में सरकार को मार्केटिंग डायरेक्टर के लिए किसी उचित व्यक्ति का चयन कर बिक्री बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए ना कि शोरूम बंद करने पर।

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