West Bengal: पश्चिम बंगाल में सत्ता विरोधी लहर के उफान के बीच ममता बनर्जी सरकार का फैसला, बलात्कारियों को सजा ए मौत, आज विधानसभा में दुष्कर्म विरोधी विधेयक, जनता ने इसे फेस सेविंग दिया करार…..  

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कोलकाता: West Bengal: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा उबल रहा है। पहले बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और उसके बाद एक नौजवान महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक रेप मामले में TMC सरकार की जमकर फजीहत हो रही है। कोलकाता से लेकर बाकुड़ा और दार्जीलिंग तक ममता बनर्जी के खिलाफ बगावत के सुर उठने लगे है। लेडी डॉक्टर के साथ अमानवीय घटना सामने आने के बाद TMC सरकार के रुख को लेकर देशभर में धरना प्रदर्शन का दौर जारी है। ममता सरकार के खिलाफ इंकम्बेंसी अर्थात सत्ता विरोधी लहर देखी जा रही है। इस बीच आज यानी मंगलवार को विधानसभा में दुष्कर्म विरोधी विधेयक पेश कर ममता ने महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई है।

हालांकि इस प्रस्तावित विधेयक के आने के बावजूद ममता के खिलाफ लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल में सत्ता विरोधी लहर को दुष्कर्म की घटना ने और हवा दे दी है। TMC सरकार की इस कवायत को फेस सेविंग करार दिया जा रहा है। बंगाल में दुष्कर्म पीड़िता को इंसाफ देने के लिए बलात्कारियों को मौत की सजा देने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं नए प्रावधान में दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को बिना जमानत के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है। महिला डॉक्टर से दुष्कर्म व हत्या की वारदात के मद्देनजर बंगाल सरकार मंगलवार को विधानसभा के विशेष सत्र में एक संशोधन विधेयक पेश किया है। इसमें दुष्कर्म के दोषियों को 10 दिनों में मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है।

दुष्कर्म विरोधी इस विधेयक का नाम- अपराजिता वीमेन एंड चाइल्ड (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून व संशोधन) बिल 2024 है। इस विधेयक के तहत दुष्कर्म के मामलों की जांच 21 दिनों में पूरी करनी होगी। भाजपा ने घोषणा की है कि वह विधेयक का समर्थन करेगी। उधर, विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य कानून बना सकता है, लेकिन इसको राष्ट्रपति से मंजूरी आवश्यक है। महिला डॉक्टर से वारदात के खिलाफ हो रहे लगातार विरोध-प्रदर्शन के बीच ममता सरकार ने महिलाओं से दुष्कर्म और अन्य यौन अपराधों में कानून को सख्त करने और कठोर दंड देने के लिए यह विधेयक पारित कराने को विशेष सत्र बुलाया है। मंगलवार को ही इसे सदन से पारित कराकर हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा।

मसौदा विधेयक में हाल ही में लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता अधिनियम 2023 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। अपराजिता टास्क फोर्स के गठन का भी प्रस्ताव विधेयक में यौन अपराधों के लिए जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात है। जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। जांच में तेजी लाने और पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिलास्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स नामक एक विशेष कार्य बल के गठन का भी सुझाव है, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे।