Siwana: बाड़मेर में परंपरागत तरीके से शुभ मुहूर्त में होली मनाई गई फिर समाज के छोटे- बड़ो को गुलाल लगाकर दी बधाई बता दे की इसके बाद कृष्ण भक्ति के साथ विभिन्न देवी देवताओं की होली के फाग गीत गाते हुए इलोजी महाराज के जाकर मंत्र उच्चारण के बाद पुनः घर लौटती है. मान्यता है कि इलोजी महाराज के प्राइवेट पार्ट में रंग लगाकर उसके पानी को कुंवारों पर छिड़कने से विवाह के योग जल्दी बन जाते हैं.
शाम के समय 5:00 बजे महालक्ष्मी मंदिर से मां लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना के बाद ब्राह्मण समाज की टोली गली मोहल्लों से गुजरती हुई भजनों से होली के फाग गीत गाते हुए,बच्चों को ढूंढने की परंपरा निभाती है. इसके बाद महालक्ष्मी मंदिर पहुंचती है.जहां मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. इसके बाद समाज भवन में एकत्रित होकर गोचा गोठ के आयोजन कर सामाजिक मुद्दों को लेकर चर्चा की जाती है. प्रत्येक घर से सदस्यों के हिसाब से रसोई की सामग्री ली जाती है और फिर दाल बाटी के साथ एक ही पंगत में बैठकर महालक्ष्मी की प्रसादी ग्रहण की जाती है. सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी उसी तरीके से मनाया जाता है.