क्या गवाहों-सबूतों को प्रभावित करने के लिए रियासत में खुलेआम छोड़ दिया गया जहाँपनाह अकबर को ? पीड़ित परिवार की गुहार, आरोपी पूर्व मंत्री को बंद करो सरकार, छत्तीसगढ़ टीचर ट्रांसफर स्कैम की जांच SIT से कराने की मांग……

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रायपुर/बालोद: छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर की तत्काल गिरफ्तारी की गुहार लगाई जा रही है। आत्महत्या के लिए प्रेरित किये जाने के एक मामले में बतौर आरोपी, मोहम्मद अकबर की अग्रिम जमानत याचिका जिला अदालत बालोद से ख़ारिज होने के बाद उनकी गिरफ्तारी की मांग जोरो पर है। पीड़ित परिवार को अंदेशा है कि दल-बल शाली नेता जी अपने बचाव में जुटे है। इसके लिए वे सबूतों और गवाहों पर दबाव डाल सकते है, ताकि मामला रफा-दफा किया जा सके। जिला एवं सत्र न्यायालय ने गवाहों को प्रभावित किये जाने से बचाने के लिए आरोपी अकबर की अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत ख़ारिज करने के कारण भी स्पष्ट किये है। इसके बावजूद आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर कोई ठोस प्रयास नहीं होने से पीड़ित परिवार तनाव में है। उसने बीजेपी सरकार से न्याय की गुहार लगाई है।

इस बीच टीचर ट्रांसफर स्कैम से पीड़ित कई शिक्षकों ने SIT गठित कर पूरे मामले की जांच की मांग की है। उनके मुताबिक तत्कालीन भूपे सरकार के कार्यकाल में हज़ारों शिक्षकों से ट्रांसफर-नई पोस्टिंग के नाम पर 5 लाख तक की रकम वसूली गई थी। उनके मुताबिक तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह को मंत्री मंडल से हटाए जाने के बावजूद अवैध वसूली का खेल चलता रहा। मोटी रकम गवाने के बाद भी पीड़ित शिक्षकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। वे बताते है कि कई शिक्षकों ने कर्ज लेकर भूपे सरकार के नुमाइंदों को नगद रकम सौंपी थी। अब कर्ज चुकाना मुश्किल हो रहा है, दूसरी ओर ट्रांसफर सूची रद्द होने से कर्तव्य स्थल तक आवाजाही में भारी कठिनाई उठानी पड़ रही है।

बिलासपुर में पदस्थ शिक्षक MK साहू (बदला हुआ नाम) तस्दीक करते है कि 5 लाख सौंपने के बावजूद कार्य नहीं हुआ, तत्कालीन PA के आवश्वासन के बाद चिन्हित व्यक्ति को उनके द्वारा यह रकम सौंपी गई थी। MK साहू के अलावा दर्जनों शिक्षक यह भी बता रहे है कि बिलासपुर संभाग में सबसे लंबी ट्रांसफर पोस्टिंग की सूची जारी की गई थी। भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद सूची रद्द हो गई। लेकिन पीड़ितों को उनकी रकम नहीं लौटाई गई। यही नहीं BEO और बाबू जैसे पदों पर काबिज कर्मियों पर कार्यवाही कर मामला रफा-दफा कर दिया गया था। यह भी बताया जाता है कि विभिन्न महकमों के सरकारी पदों में भर्ती के लिए शिक्षकों को सब्जबाग भी दिखाए गए थे। परिजनों को नौकरी दिलाने के नाम पर भी कई शिक्षकों से मोटी रकम वसूली गई थी।

छत्तीसगढ़ में तत्कालीन कांग्रेस राज में शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग की प्रक्रिया ने उद्योग का शक्ल ले लिया था। कांग्रेस के हाथों सत्ता फिसलने के बाद शिक्षकों की हालत तनावपूर्ण बताई जा रही है। उनकी खून पसीने की कमाई भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। परिवार अब आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। पीड़ितों को न्याय की उम्मीद तब जगी जब सक्रियता का परिचय देते हुए स्थानीय पुलिस ने मोहम्मद अकबर समेत तीन आरोपियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की थी। हालांकि अब परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर दो-चार हो रहे है।

जानकारी के मुताबिक बालोद कोर्ट ने सबूत प्रभावित होने के अंदेशे का हवाला देते हुए आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की थी। ऐसे में आरोपियों की गिरफ्तारी में बरती जा रही लापरवाही और लेटलतीफी अभियोजन पक्ष पर भारी पड़ सकती है। पीड़ित परिजन यही गुहार शासन-प्रशासन से लगा रहे है। दरअसल, हाल ही में शिक्षक दिवस (5 सितंबर) को बालोद में निवासरत हेड मास्टर 57 वर्षीय देवेंद्र कुमार ठाकुर ने फांसी लगा ली थी।

उन्होंने सुसाइड नोट में मोहम्मद अकबर समेत हरेंद्र नेताम, प्रदीप ठाकुर, मदार खान को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस ने पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर, मदार खान, हरेंद्र नेताम और प्रदीप ठाकुर के खिलाफ धारा 108, 3 (5) तहत केस दर्ज किया था। इसके साथ ही सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर मदार खान, हरेंद्र नेताम और प्रदीप ठाकुर के खिलाफ धारा 420, 34 के तहत भी मामला दर्ज किया है।

यह भी बताया जाता है कि देवेंद्र कुमार ठाकुर डौंडी ब्लॉक के ग्राम ओड़गांव के प्राथमिक शाला में पदस्थ थे। देवेंद्र ठाकुर की पत्नी भी शिक्षा विभाग में कार्यरत है। जिस वक़्त उनके पति ने आत्महत्या की घटना कों अंजाम दिया उस समय वे स्कूल में थीं। सुसाइड नोट में पीड़ित ने नौकरी दिलाने के नाम पर लाखों रुपए ठगी करने की बात लिखी है। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक जोशी के मुताबिक सुसाइड नोट के आधार पर डौंडी थाने में बीएनएस की धारा 108 के तहत मामला दर्ज किया गया है। वहीं इसी मामले में अन्य 3 लोगों के खिलाफ नौकरी के नाम पर ठगी का मामला दर्ज किया गया है। यह भी बताया जाता है कि शिक्षा विभाग एवं अन्य महकमों में कही नौकरी तो कही ट्रांसफर पोस्टिंग के 40 से ज्यादा मामलों में इलाके के दर्जनों लोगों को करोड़ों का चूना लगाया गया है। बालोद के इस प्रकरण में 3 करोड़ 70 लाख से ज्यादा का ठगी की बात सामने आ रही है। बालोद पुलिस जांच में जुटी है। इस बीच आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग से राजनैतिक गलियारा भी सरगर्म है।