मयूरभंज / वो कहते है न आदमी कुछ करने की ठान ले तो क्या नहीं कर सकता है | इस बात को एक बार फिर साबित किया है ओडिशा के एक किसान ने | इस किसान के खेतों में पानी नहीं आता था | अधिकारियों से खूब गुहार लगाई कि पानी दिया जाए लेकिन उन्होंने उन की बात को नहीं सुना | अंत में किसान ने हारकर ऐसा करिश्मा किया कि आसपास के लोग भी उसके इस देशी आविष्कार को देखने आ रहे हैं | ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक ऐसी दिलचस्प घटना हुई है, जहां महुर टिपिरिया नाम के एक किसान ने नदी से 2 किलोमीटर दूर अपने खेतों में पानी ले जाने के लिए एक देशी जलपहिया का जुगाड़ बनाया है |
ये जलपहिया बांस और लकड़ियों से मिलकर बनाया गया है | इसमें एक बड़ा सा गोल पहिया लगा हुआ है जो एक पवनचक्की की तरह पानी और हवा के बहाव से घूमता रहता है | इस पहिये में किसान ने पानी पीने वाली बोतलें लगाई हैं | इन बोतलों के मुंह वाले हिस्से को ढक्कन से ही बंद रखा गया है, जबकि बोतल के निचले हिस्से को काटकर उसे एक खुले बर्तन की तरह बना लिया है, जिसमें पानी संग्रहित होता रहे, निकलता रहे | पहिये में जुड़ी हुई लकड़ियों से ऐसी तीस-चालीस बोतलें लगी हुई हैं | पहिया घूमता जाता है और इन बोतलों में पानी भरता जाता है |
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पहिये के बीच की ऊंचाई पर ही पास में एक संग्रहण केंद्र बनाया गया है, पानी की बोतलों का मुंह इस संग्रहण केंद्र की तरफ ही रखा गया है, पानी की बोतल जब भी इसके पास से गुजरती है तो पानी की बोतल में जमा हुआ पानी इस संग्रहण केंद्र में आकर गिरता जाता है | इस संग्रहण केंद्र में इकट्ठा हुआ पानी बांस से बनी हुई पम्पों से गुजरता हुआ चलता जाता है जो अंत में किसान के खेतों तक पहुंचता है | इस तरह दो किलोमीटर दूर स्थित स्थानीय नदी का पानी किसान के खेतों तक पहुंचने लगा है | किसान ने बताया कि ‘मैं एक गरीब आदमी हूं, मैंने बार-बार अधिकारियों से कहा कि मेरे खेतों में सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था करवाएं, लेकिन कोई मदद नहीं मिली, अंत में हारकर मैंने इसे बना लिया.”