बड़ी खबर : छत्तीसगढ़ में कोल घोटाले को लेकर अब सीबीआई जांच में फंसे विवेक ढांड , पूर्व चीफ सेक्रेटरी के कोयले में हाथ काले , विवेक ढांड के कारनामों को लेकर सीबीआई ने चीफ सेक्रेटरी से मांगा जवाब , घोटाले की मूल फाइल मंत्रालय से गायब होने की आशंका , देखे सीबीआई का पत्र  

0
6

रायपुर / छत्तीसगढ़ में कोल घोटाले को लेकर सीबीआई जांच तेज हो गई है | फ़िलहाल छत्तीसगढ़ छोड़ झारखंड , उड़ीसा , बिहार ,मध्यप्रदेश के कई अफसर और कारोबारी घोटाले में नप चुके है | कोल घोटाले को लेकर केंद्र सरकार के कई अफसरों पर भी गाज गिर चुकी है | इसी कड़ी में अब बारी छत्तीसगढ़ की है | 

पुख्ता जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ की वंदना विद्युत् लिमिटेड और एसकेएस पावर को कोयला खदानो के आवंटन में भारी गड़बड़ी और अनियमितता बरती गई थी | पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के कार्यकाल में आवंटित इन कोयला खदानों की आवंटन प्रक्रिया पर गड़बड़ी की शिकायतों के बाद सीबीआई की विशेष टीम ने नए सिरे से विवेचना शुरू की है | 

बताया जाता है कि सालभर पहले जनवरी 2019 को सीबीआई ने छत्तीसगढ़ शासन को बाकायदा पत्र लिखकर एसकेएस इस्पात और वंदना विद्युत् लिमिटेड को आवंटित कोल ब्लॉक हेतु अनुशंसा करने वाली कमेटी के सदस्यों की जानकारी मांगी थी | तत्कालीन मुख्य सचिव सुनील कुजूर से सीबीआई ने इस कमेटी की बैठक के मिनिट्स ऑफ़ मीटिंग , आवंटन का आधार और उससे संबधित दस्तावेजों की मांग की थी | यही नहीं सीबीआई ने उन पत्र व्यवहारों की भी मांग की थी , जो छत्तीसगढ़ शासन और वंदना विद्युत् व एसकेएस इस्पात के बीच हुए थे | 

सीबीआई ने छत्तीसगढ़ शासन को लिखे पत्र में गोपनीयता का हवाला देते हुए यह भी स्पष्ट रूप से लिखा था कि एसकेएस इस्पात की सिफारिशों को लेकर लोक सेवकों के पत्र व्यव्हार और आवंटन प्रक्रिया संबंधित कोई भी दस्तावेज आरटीआई के जरिये भी ना सार्वजनिक किये जाये | 
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में वंदना विद्युत् लिमिटेड को फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था | जबकि एसकेएस पावर को रायगढ़ में ही फतेहपुर कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था | हालांकि कोल घोटाला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों ही  आवंटनों को रद्द कर दिया था | 

वंदना विद्युत् लिमिटेड की समस्त संपत्ति ईडी ने अपने कब्जे में लेकर अपनी जांच शुरू कर दी है | इस कंपनी पर विभिन्न बैंकों का हजारों करोड़ रूपये का लोन एनपीए की प्रक्रिया में है | इसमें पंजाब नेशनल बैंक का 450 करोड़ और एसबीआई का 481 करोड़ लगभग डूब गया है | जबकि अन्य बैंक वसूली प्रक्रिया में है | उनके भी सैकड़ों करोड़ डूबने की आशंका है | फ़िलहाल ईडी मात्र 603 करोड़ की संपत्ति ही अटैच कर पाई है | यही हाल एसकेएस इस्पात का है | उस पर भी विभिन्न बैंकों का हजारों करोड़ बकाया है | बताया जाता है कि यदि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन ऊर्जा सचिव विवेक ढांड कोल आवंटन हेतु इन कंपनियों की गलत अनुंशसा नहीं करते तो बैंकों को भी नुकसान नहीं उठाना पड़ता | दोनों कंपनियों के कोल ब्लॉक सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द होने के बाद  विवेक ढांड की कार्यप्रणाली पर भी सवालियां निशान लगा है |    

बताया जाता है कि दोनों ही कोल ब्लॉक के आवंटन के दौरान ऊर्जा सचिव के पद पर विवेक ढांड पदस्थ थे | बतौर ऊर्जा सचिव कोल आवंटन प्रक्रिया में उनकी अनुशंसा काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है | ऊर्जा सचिव की अनुशंसा के आधार पर ही कोयला मंत्रालय और भारत सरकार संबंधित उद्योग को कोल ब्लॉक आवंटित करते है | 

जानकारी के मुताबिक राज्य की कांग्रेस सरकार ने इस बारे में आधे अधूरे दस्तावेज सीबीआई को सौंपे है | सूत्र यह भी बता रहे है कि वंदना विद्युत् और एसकेएस इस्पात की कोल आवंटन प्रक्रिया वाली फाइल के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मंत्रालय से गायब है | इसका खुलासा उस समय हुआ जब आरटीआई के जरिये पत्र व्यवहार की मांग की गई थी | फ़िलहाल देखना होगा कि इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और चीफ सेक्रेटरी आरपी मंडल क्या कदम उठाते है |