रायपुर/बस्तर। छत्तीसगढ में कुपात्रों को VIP सुरक्षा उपलब्ध कराने से पुलिस मुख्यालय की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग गया है. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बड़ी तादाद में कुपात्रों को सुरक्षा व्यवस्था मुहैय्या कराई गई थी. इसमें शराब माफिया, भू माफिया, कबाड़ी , आर्थिक घोटालों के आरोपी, और महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों से घिरे लोग भी शामिल हैं.इसके आलावा कई कांग्रेसी नेताओं को भी PSO उपलब्ध करा दिए गए थे. इनकी सुरक्षा व्यवस्था जस की तस रहने से जरूरतमंदो की जान जोखिम में है.
छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेताओं के बंगलों, पूर्व विधायकों, विभिन्न मंडलों के अध्यक्षों,और संगठन से जुड़े कई नेताओं को भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुलिस सुरक्षा प्रदान की थी. बताया जाता है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी कुपात्रों को मुहैय्या कराई गई VIP सुरक्षा जस की तस जारी रखी गई है. राज्य में सत्ता परिर्वतन के बाद उम्मीद की जा रही थी कि बीजेपी सरकार कुपात्रों की सुरक्षा व्यवस्था में कटौती करेगी.पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तर्ज पर VIP सुरक्षा को स्टेटस सिंबल नही बनने दिया जाएगा. लेकिन ऐसा चरितार्थ होते नही दिख रहा है. राज्य में कुपात्रों को VIP सुरक्षा का चलन जोरों पर जारी है. बताते हैं कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2 दर्जन से ज्यादा कुपात्रों को खुश करने के लिए PSO प्रदान किया गया था.
बताते है कि ऐसे कुपात्रों से आम जनता को ही खतरे का अंदेशा रहता है. कुपात्रों को ना तो किसी से खतरा है और ना ही उनकी गतिविधियां ऐसी है कि उन्हे जनहित में सुरक्षा प्रदान की जाए? फिर भी उन्हे PSO प्रदान करने से खर्च का बोझ सरकार पर लादा जा रहा है.सूत्र बताते हैं कि आमतौर पर ऐसे लोगों को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुश करने के लिए स्टेटस सिंबल के चक्कर में PSO की नियुक्ती करवा दी थी. जबकि दूसरी ओर जरूरतमंद लोग अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे.बीजेपी के सत्ता संभाले 2 माह से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, इसके बावजूद भी कुपात्र कांग्रेसियों को यथावत सुरक्षा व्यवस्था जारी रखी गई है. इस फिजूल खर्ची को देखकर जनता भी हैरत में है।
बताया जाता है कि बस्तर और सरगुजा संभाग में बीजेपी के कई नेताओ की जान जोखिम में है. वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित भी नजर आते हैं. उन पर नक्सली हमले के अंदेशे के बावजूद तत्कालीन कांग्रेस सरकार में उनकी सुध तक नही ली गई थी. सुरक्षा बंदोबस्त के आभाव में अकेले बस्तर में ही आधा दर्जन से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं को नक्सली मौत के घाट उतार चुके हैं.अभी भी कई पीड़ित परिवार अपनी जान की गुहार लगा रहे हैं. उनकी लाख गुहार के बावजूद पुलिस मुख्यालय ने उनकी ने सुरक्षा व्यवस्था मजबूत किए जाने को लेकर कोई पहल नहीं की है. बताते हैं कि आज भी बस्तर में बीजेपी के कई कार्यकर्ता और नेता ऐसे हैं,वाकई जिनकी जान जोखिम में है. इसके अलावा विभिन्न मोर्चों और संगठन पदाधिकारीयों की भी सुरक्षा पुख्ता किए जाने की जरूरत है.बताते है कि ऐसे सुपात्र लोगों को सिर्फ इसलिए सुरक्षा मुहैय्या नही कराई जा सकी है, क्योंकि कुपात्रों को सुरक्षा देने से बल की कमी आड़े आ रही है.
सुरक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि नई सरकार के गठन के बाद विधिवत रूप से “सिक्युरिटी ऑडिट” नही करवाए जाने से हालात गंभीर है.उनके मुताबिक पुलिस मुख्यालय ने आनन फानन में एक बैठक आयोजित कर सरकार से जुड़े कुछ चुनिंदा लोगों को ही सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की थी.लेकिन बड़ी तादाद में पहले से ही कुपात्रों को मुहैय्या कराई गई सुरक्षा व्यवस्था को हटाने की दिशा में कोई निर्देश जारी नही किए गए. नतीजतन पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार में स्टेटस सिंबल बने VIP सुरक्षा के बंदोबस्त को मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी दोहराए जाने से कई पीड़ित परिवार हैरत में है. बताते हैं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के कई नेताओं पर नक्सली हमले का खतरा भी मंडरा रहा है. पीड़ित कार्यकर्ता अपनी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार का मुंह तांक रहे हैं। ऐसे समय पुलिस मुख्यालय का सक्रिय होना जरूरी बताया जा रहा है.