Manipur Violence: मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद फिर हिंसा भड़क गई है. चुरचांदपुर में एक लड़का गायब हुआ, उसके बाद कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच टकराव फिर शुरू हो गया है. यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
मणिपुर पुलिस फोर्स ने राज्य के लोगों से अपील की थी कि जिन लोगों ने पुलिस चौकियों से हथियार लूटे हैं, उन्हें पुलिसकर्मियों को वापस कर दिया जाए. काफी संख्या में पुलिस को हथियार और गोला-बारूद वापस भी मिले थे, उसके बाद भी यहां हिंसा नहीं रुक रही है.
मणिपुर में मई 2023 से राज्य में जातीय संघर्ष चल रहा है. करीब दो साल से जारी इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा की वजह से मैतेई और कुकी दोनों ही समुदायों के हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा. बीती 9 फरवरी को एन बीरेन सिंह ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है.
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मणिपुर में पिछले साल 3 मई को हिंसा तब भड़क गई थी, जब कुकी समुदाय की ओर से ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला जा रहा था. ये मार्च चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके से निकल रहा था. कुकी समुदाय की मांग थी कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा न दिया जाए. इसी दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई और तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं.
इस पूरी हिंसा का आधार जनजाति का दर्जा है. अप्रैल, 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश देते हुए कहा था कि वो मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करे. इस पर कुकी और नगा समुदाय भड़क गए. तीन मई को रैली निकाली गई और यहीं से हिंसा भड़क गई. बता दें कि मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं.
वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बाद भी मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का ज्यादातर इलाका पहाड़ी पर बसा हुआ है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का, जबकि घाटी में मैतेई का दबदबा है.