श्रीनगर: कश्मीर में आतंकी एक बार फिर पर्यटकों और हिन्दुओं को निशाना बना रहे है। उनकी जान – माल की सुरक्षा के लिए हमारे जवान अपनी शहादत भी दे रहे है। खासबात यह है कि सीमा पार से हिंदू पर्यटकों को जान से मारने के रोजाना फरमान जारी हो रहे है। ताजा मामले में पर्यटक गाइड ने आतंकियों की मदद कर पर्यटकों की जान जोखिम में डाल दी। मामला कश्मीर के कठुआ जिले का है। यहाँ सोमवार 8 जुलाई को आतंकियों के हमले में जूनियर कमीशंड ऑफिसर (JCO) समेत 5 जवान शहीद हो गए।
हमले में घायल 5 जवानों को कठुआ के बिलावर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से देर रात पठानकोट मिलिट्री हॉस्पिटल रेफर किया गया है। हमले को लेकर सेना के सूत्रों से लगातार नई जानकारी सामने आ रही है। इसके मुताबिक, यह हमला 3 आतंकियों ने एडवांस हथियारों से लैस होकर किया था। बताते है कि ये आतंकी हाल ही में सीमा पार से घुसपैठ करके आए थे। स्थानीय लोगों ने मीडिया को बताया कि हमले के लिए एक लोकल गाइड ने भी आतंकियों की मदद की थी।
दरअसल, सुरक्षाबलों के जवान कुठआ के लोहाई मल्हार ब्लॉक के माछेड़ी इलाके के बडनोटा में दोपहर 3.30 बजे तलाशी ले रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर घात लगाकर ग्रेनेड से हमला किया था। इस दौरान फायरिंग भी हुई। आतंकियों के मंसूबों को भांपते हुए सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया। उनके बीच मुठभेड़ दूसरे दिन मंगलवार को भी जारी रही। इस हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स नाम के आतंकी संगठन ने ली है। यह संगठन प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की ही एक शाखा है।
संगठन की ओर से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा गया कि यह हमला 26 जून को डोडा में मारे गए 3 आतंकियों की मौत का बदला है। साथ ही बताया कि आतंकियों ने हमला हैंड ग्रेनेड और स्नाइपर गन से किया। न्यूज़ टुडे नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक आतंकी हमले को लेकर कश्मीर टाइगर्स का कबूलनामा गौरतलब है। आतंकी KT-213 ने एक पोस्ट में लिखा- ‘कठुआ के बडनोटा में भारतीय सेना पर हैंड ग्रेनेड और स्नाइपर गन से हमला किया है।
यह डोडा में मारे गए 3 मुजाहिदीन की मौत का बदला है। जल्द ही और ज्यादा हमले किए जाएंगे। ये लड़ाई कश्मीर की आजादी तक चलती रहेगी।’ सेना की गाड़ी पर बीते दो महीने में यह दूसरा बड़ा अटैक माना जा रहा है। इससे पहले 4 मई को पुंछ के शाहसितार इलाके में एयरफोर्स के काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें कॉर्पोरल विक्की पहाड़े शहीद हो गए थे और 4 अन्य जवान घायल हो गए थे। आतंकियों ने सुरक्षाबलों के दो वाहनों पर भारी फायरिंग की। दोनों गाड़ियां सनाई टॉप जा रही थीं।
वहीं, दो दिन में यह सेना पर दूसरा हमला है। 7 जुलाई की सुबह आतंकियों ने राजौरी जिले के मंजाकोट इलाके में एक आर्मी कैंप पर हमला किया था। इसमें एक जवान घायल हो गया। जवानों की जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी घने जंगल में भाग गए। इन दिनों सेना और पुलिस कई इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। इससे आतंकी मददगार बेनकाब भी हो रहे है। कश्मीर में भारत सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाए संचालित की है, बावजूद इसके कई स्थानीय लोग आतंकियों को शरण दे रहे है। यहाँ इन दिनों पर्यटकों की भरमार है। मौज मस्ती में जुटे लोगों को आतंकी घटनाए बुरी तरह से प्रभावित कर रही है।
वे वाहन चालकों, घोड़े खच्चर वालों, स्थानीय दुकानदारों, होटलों और अन्य लोगों पर भरोसा नहीं कायम कर पा रहे है। श्रीनगर के अलावा अन्य जिलों में अमरनाथ यात्री बड़ी तादात में पहुँच रहे है। इस दौरान वे ‘सेना’ के जवानों की जय – जय कार कर रहे है, जो उनकी सुरक्षा में अपनी जान तक न्योछावर करने में जुटे है। अमरनाथ मार्ग पर कई यात्रियों ने सेना के जवानों को फूल – माला पहनाकर उनके प्रति ह्रदय से आभार भी व्यक्त किया है। उधर आतंकी हमलों के मद्देनजर कई यात्रियों ने फ़ौरन कश्मीर से दूरियां बनाना भी शुरू कर दिया है।
अमरनाथ यात्रियों को छोड़ अन्य सैर सपाटे में आने वाले पर्यटकों ने होटलों से बुकिंग रद्द कराना भी शुरू कर दिया है। पिछले एक हफ्ते में विभिन्न एयरलाइन्स के सैकड़ों यात्रियों ने श्रीनगर यात्रा रद्द करने में रूचि दिखाई है। ऐसे में कश्मीर में पर्यटन संकट में नजर आने लगा है। प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में कश्मीर पर खासा ध्यान दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक सेना ने इस साल के अंत तक जम्मू रीजन से आतंक के सफाए का प्लान तैयार किया है। बीते दिनों गृह मंत्रालय में हुई बैठक के बाद पुंछ, राजौरी, रियासी, कठुआ में सक्रिय 30 आतंकियों की लिस्ट चर्चा में है।
बताते है कि आतंकियों और इनके मददगारों के सफाए के लिए एनिमी एजेंट्स एक्ट अपने मूल रूप में फिर जल्द ही लागू किया जाएगा। इस अधिनियम में आतंकी मददगारों की संपत्ति जब्त करने से लेकर उम्र कैद और फांसी तक की सजा का प्रावधान है। इसे 1948 में विदेशी आतंकियों और घुसपैठियों के खात्मे के लिए बनाया गया था। बाद में इसे संशोधन कर कानूनी रूप दिया गया। सजा घटाकर 10 साल की गई। अभी UAPA भी लागू है, लेकिन एनिमी एक्ट इससे भी सख्त है।