
नई दिल्ली। विजयादशमी 2025, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख और उल्लासपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है और इसका मूल संदेश यह है कि सत्य और धर्म की सदा विजय होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया और बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की। रावण का अंत केवल युद्ध की जीत नहीं था, बल्कि यह अहंकार, अन्याय और अधर्म पर सत्य, न्याय और धर्म की विजय का प्रतीक बन गया। कई स्थानों पर विजयादशमी देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय के उपलक्ष्य में भी मनाई जाती है। नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी दुर्गा की आराधना के बाद दशमी को उनकी जीत का उत्सव मनाया जाता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है। कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है, जिसमें श्रीराम के जीवन की घटनाओं का मंचन किया जाता है। इस दिन शस्त्र पूजन की परंपरा भी निभाई जाती है, जो शक्ति, साहस और आत्म-रक्षा का प्रतीक है।
विजयादशमी केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी देता है। यह हमें सिखाता है कि सही मार्ग और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी संकट या बुराई पर विजय पाई जा सकती है। ऐसे में विजयादशमी भारतीय संस्कृति में अच्छाई और न्याय की जीत का प्रतीक बन जाती है और जीवन में सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।