अनिल घृतलहरे [Edited by: ऋतुराज वैष्णव ]
बलौदाबाजार / छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार बाजार जिले के देवपुर और कोठारी वनपरिक्षेत्र में पिछले 3 सालों से जंगली हाथियों का आतंक बदस्तूर जारी है | आय दिन हाथियों का झुंड गांव और खेतों में घुसकर जमकर उत्पात मचाते है तो वही इन इलाकों के कई घरों को तहस-नहस भी कर दिया है | हाथियों के आतंक से वनांचल के किसानों की खरीफ फसल तो बर्बाद हो ही गयी अब किसानों के सैकड़ो एकड़ रबी फसल को भी हाथियों ने नही बक्शा,किसानों के फसल पर जंगली हाथी लगातार पानी फेरते रहे है | लागातार हाथियों का झुंड इस इलाके में अपनी पैठ बना के रखे हुए है , लेकिन वन अमला हाथ पर हाथ धरे बैठा है और किसान अपनी बर्बादी का मंजर अपने आंखों से देख रहे है । किसान और ग्रामीण दिन भर खेती करने के बाद पूरी रात ख़ौफ़ के साये में रतजगा कर फसल बचाने की जद्दोजहद में लगे रहते है
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ऊँचे ऊँचे पेड़ो पर बने ये घरौंदे, पेड़ो के नीचे चारो तरफ जले हुए लकड़ियों के गट्ठे,,40 फिट के उचाई पर चढ़कर जंगली हाथियों के आने का संकेत देता ये किसान | ये नज़ारा बलौदाबाजार जिले के कोठारी और देवपुर वनपरिक्षेत्र का है | इस वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई गांव में पिछले 3 सालों से जंगली हाथियों का आतंक लगातार जारी है ,,जंगली हाथी कभी गांव में घुसकर उत्पात मचाते है तो कभी किसानों की सैकड़ो एकड़ फसल को सफाचट कर जाते है |
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दअसल देवपुर कोठारी वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत दर्जनों गांव में किसान पिछले 3 साल से खरीफ फसल लगाते तो थे लेकिन हाथियों के आतंक के चलते फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाती है | अब किसानों ने जब रबी फसल लगाया है उस पर भी जंगली हाथियों का आतंक लगातार जारी है फसल को हाथियों से बचाने और हाथियों को खदेड़ने के लिए इन गांव के किसानो ने 40से 50 फिट पेड़ो के ऊपर एक छोटा सा घरौंदा बनाया है जिसे किसानों की भाषा में मचान कहा जाता है ,,वनांचल में रहने का दंश झेल रहे ये किसान दिन में अपने खेतों में काम करते है और रात होते ही इन मचानों में चढ़कर कर अपनी फसल की रखवाली करते है ,,,वही हाथी कही उनके पेड़ के पास न आजे इसलिए किसान पेड़ के चारो तरफ मोटे लकड़ियों के गट्ठे पर आग लगाते है ताकि हाथी आग देखर उनके करीब न पहुँचे ,,उसके बावजूद कई किसान जंगली हाथियों का शिकार बन जाते है ,,हाथीयो को खदेड़ते किसान कई बार बुरी तरह से फस जाते है तो कही उनको अपनी जान तक गवानी पड़ जाती है ,,ऐसे में इन गांवों में हाथियों को भगाने के लिए सही समय पर वन अमला भी नही पहुच पाता,,किसानों ने बताया कि पिछले 3 सालों से आसपास के दर्जनों गांव हाथियों के आतंक से परेशान है वही हाथियों के द्वारा किये फसल के नुकसान का मुआवजा वन अमला नही देता ,और कुछ लोगो को मिला भी है वो भी नही के बराबर,,वन अमला कागजी कार्यवाही करके अपना पलड़ा झाड़ लेती है ,,ऐसे में वननांचल के दर्जनों गांव के किसान बेहद चिंतित है | ऐसे में किसान ख़ौफ़ की ज़िंदगी जी रहे है ,बात करे वन अमला की तो उनका भी राटा रटाया जवाब मिलता है ,,ऐसे में देंदुचुवा ,धमलपुरा, देवपुर समेत दर्जनों गांव के किसान बेहद चिंतित है | आखिर कब तक गजराज के आतंक से इनको मुक्ति मिलेगी , और बड़े पैमाने पर हुए नुकसान का उचित मुआवजा कब तक मिल पायेगा एक बड़ा सवाल है ।