
देश की सक्रिय नेताओ में से एक स्वर्गीय “सुषमा स्वराज” इस 15 अगस्त अर्थात स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लोगो को खूब याद आ रही है | उन्हें यादो में सिमटाना शायद अभी संभव नहीं | रायपुर के जी.डी. गोयनका स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में एक छात्रा सुषमा स्वराज का रूप धारण कर मंच में जैसे ही आयी, लोगो की निगाहें सिर्फ उसे निहारते रही | इस छात्रा को देख कर कई लोग तो सुषमा जी की यादो में खो गए | किसी की निगाहें इस लड़की के हाव भाव पर पड़ी तो कोई उसके माथे की बिंदी और सूती कपडे की साड़ी के ऊपर पहनी हुई खादी की जैकेट पर आकर टिक गयी | कुछ के तो मुँह से अनायास निकला ” ओह ” सुषमा जी | भारतीय संस्कृति से जुड़ाव रखते हुए देश विदेश में प्रतिष्ठा हासिल करने वाली सुषमा स्वराज आम तीज त्यौहारों ही नहीं बल्कि राष्ट्रिय पर्वो में अपने परिधान को लेकर बेहद आकर्षक नजर आया करती थी | उनका गरिमामयी और विचारशील व्यक्तित्व भारतीय महिलाओ और जन मानस को सदैव अपना सा लगता था |
सुषमा स्वराज के ” स्वर्गारोहण ” के बाद यह पहला वो ” राष्ट्रिय पर्व ” है, जिसमे सुषमा जी की कमी खल रही है | आज वो जीवित होती तो शायद अपने ही नन्हे प्रतिरूप को देख कर फूले नहीं समाती | हालांकि इस मंच पर तमाम महापुरुष भी नजर आये | कोई छात्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस , महात्मा गांधी , पंडित नेहरू और राजीव गांधी का रूप धर कर आया था , तो कोई छात्रा महारानी लक्ष्मी बाई , इंदिरा गाँधी और मदर टेरेसा की रूप में नजर आयी | भारतीय महापुरुषो को एक मंच पर, इकठ्ठा देखकर दर्शक भी बेहद खुश नजर आये | यह वो मौका था जब नन्हे मुन्हें बच्चे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और महापुरुषों की जीवन गाथा और आदर्शो से रूबरू हो रहे थे | अध्यापक बच्चो को महान सेनानियों की जीवनशैली और संदेशो से परिचित करा रहे थे | इस मौके पर जब बारी सुषमा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व की आयी तो कई लोगो की आँखे नम हो गयी | राजनैतिक प्रतिद्वंदिता और अलग अलग विचारधाराओ से हट कर लोगो ने सुषमा जी को खूब याद किया |
जी.डी. गोयनका स्कूल के प्राचार्य डॉ एम्. दत्ता ने कहा कि एक मंच पर नजर आये सभी महापुरुषों के साथ सुषमा जी के प्रतिरूप को देख कर वे बेहद रोमांचित हो गए | उन्होंने कहा कि सुषमा जी ,हमारे देश की संस्कृति की राजदूत के रूप में भी जानी पहचानी जाती थी | उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि नन्हे मुन्हें बच्चे भी उन्हें ना केवल याद करते है बल्कि उनकी तरह बनने की उनकी सोच भी विकसित हो रही है | 73 वे स्वतंत्रता दिवस के मौके पर स्कूली छात्र छात्राओं ने एक से बढ़ कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश कर इस राष्ट्रिय पर्व की छठा बिखेरी |