जांजगीर चांपा / छत्तीसगढ़ में जांजगीर चांपा का भड़ेसर एक ऐसा गांव है , जहाँ के ग्रामीणो ने अपने खेत खलियानों की रक्षा के लिए अजगरों को पाला है । पीपल के बहुत बड़े पेड़ में लगभग दो दर्जन अजगरों का रेन बसेरा है । आमतौर पर गांव में बैल , सांड या फिर दूसरे मवेशी पाले जाते देखे जा सकते है । लेकिन अजगर का संरक्षण हैरत करने वाला है । ग्रामीणो के मुताबिक पाले गए अजगर उनके खेत खलियानों की रक्षा करते है । बदले में वो उनकी रक्षा करते है ।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के भड़ेसर नामक इस गांव में अजगरों का ये रेन बसेरा लोगो के लिए भले ही कोतूहल का विषय हो । लेकिन ये अजगर ग्रामीणो के दोस्त के रूप में जाने जाते है । पीपल के इस पेड़ में दो दर्जन से ज्यादा अजगर रहते है । ये अजगर अपने भोजन के लिए ग्रामीणो के खेत खलियानों पर निर्भर है । कभी कभार ग्रामीण खुश हो कर इन्हे मुर्गा या फिर मछली परोस देते है । बदले में ग्रामीणो के खेत खलियानों की रक्षा करने में ये अजगर पीछे नहीं रहते । कभी ये हरे भरे लहलहाते खेतो के भीतर दाखिल हो कर कीट पतंगों का सफाया कर देते है तो कभी फसलो को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुचाने वाले चूहों और जंगली सुअरो को अपना भोजन बना लेते है । इससे ग्रामीणो की फसलो की रक्षा होती है । ग्रामीण इन अजगरों के रख रखाव और भोजन को लेकर हमेशा सजग रहते है ।
पिछले बीस सालो में कभी ऐसा कोई वाक्या नहीं हुआ है कि अजगरों ने ग्रामीणो को जान माल का नुक्सान पहुचाया हो । अलबत्ता अजगरों ने फसलो को नुक्सान पहुचाने वाले चूहों , खरगोश , सूअर और दूसरे ऐसे ही जानवरो को अपना निशाना बनाया है । ये अजगर खेत खलियानों से लेकर ग्रामीणो के घरो तक का रुख करते है । ग्रामीणो के मुताबिक लगभग २० – २५ साल पहले पीपल के इस पेड़ पर उन्हें एक दो अजगर दिखाई दिए थे । लेकिन लोगो ने उसे कोई नुक्सान नहीं पहुचाया । बल्कि समय समय पर उनकी रक्षा की । अब इस पीपल के पेड़ पर अजगरों की संख्या दो दर्जन से ज्यादा है । लेकिन अजगरों का स्वाभाव ग्रामीणो को नुक्सान पहुचाने वाला नहीं है । लोग दूर दूर से इन अजगरों को देखने के लिए आते है ।
पर्यावरणविद भी एक साथ इतने अधिक आजगरो को देख कर आस्चर्यचकित है । उनका मानना है कि आम तौर पर एक या दो अजगर ही एक साथ पाये जाते है । लेकिन पीपल के इस पेड़ में दर्जनो अजगरों की मौजूदगी उनके लिए पहेली बनी हुई है । हालांकि उनका यह भी मानना है कि भले ही अजगर ग्रामीणो को कोई नुक्सान ना पंहुचा रहे हो लेकिन उन्हें सतर्कता बरतनी चाहिए ।
इस गांव के बच्चे बूढ़े हो या फिर नौजवान हर कोई इन अजगरों और उनके स्वाभाव से वाकिफ है । गांव में रहने वाले कई किसान तो ऐसे है, जिनके लिए ये अजगर वरदान साबित हुए है । वे सुबह पीपल के इस पेड़ की पूजा पाठ कर अपने दिन की शुरुवात करते है । ना तो उन्हें इतने सारे अजगरों की मौजूदगी से डर लगता है और ना ही अपने खेत खलियानों की रक्षा को लेकर दो चार होना पड़ता है ।