Vice President Election 2025: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की सबसे बड़ी राजनीतिक परीक्षा अब उपराष्ट्रपति चुनाव के रूप में सामने है। एनडीए जहां अपने उम्मीदवार को भारी मतों से जिताने की रणनीति बना रहा है, वहीं विपक्ष ने भी साफ कर दिया है कि वह इस बार मुकाबले से पीछे नहीं हटेगा।
एनडीए की तैयारी
बीजेपी ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का विषय बना लिया है। सांसदों को वोटिंग प्रक्रिया समझाने के लिए संसद भवन में तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई है, ताकि एक भी वोट व्यर्थ न जाए। नामांकन के समय एनडीए अपने सभी मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सहयोगी दलों के नेताओं के साथ शक्ति प्रदर्शन करेगा। संभावित उम्मीदवारों में आचार्य देवव्रत, मनोज सिन्हा, थावरचंद गहलोत, ओम माथुर और आरिफ मोहम्मद खान जैसे नाम चर्चा में हैं। आरएसएस के विचारक शेषाद्रिचारी और मौजूदा उपसभापति हरिवंश का नाम भी लिया जा रहा है। हालांकि किसी चौंकाने वाले नाम की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
विपक्ष की रणनीति
विपक्ष ने इस बार एनडीए को कड़ी चुनौती देने की ठान ली है। कांग्रेस, आप, बीजेडी और अन्य दल पहले ही वोटर लिस्ट के मुद्दे पर एकजुटता दिखा चुके हैं। खासकर बीजेडी, जिसने कई मौकों पर एनडीए का समर्थन किया था, अब पीछे हट चुकी है। विपक्ष चाहता है कि चुनाव में एनडीए को आसानी से जीत न मिले।
समीकरण और संतुलन
इस बार एनडीए के पास अपने बूते बहुमत नहीं है और उसे टीडीपी व जेडीयू जैसे सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। वहीं विपक्ष क्षेत्रीय दलों को साथ लाकर मुकाबले को और कड़ा बनाना चाहता है। पिछली बार जगदीप धनखड़ ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की थी, लेकिन Vice President Election 2025 में हालात पहले जैसे नहीं हैं। यही वजह है कि यह चुनाव सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है।
