
नई दिल्ली। भारत के 15वें उपराष्ट्रपति पद के लिए आज, 9 सितंबर 2025 को मतदान हो रहा है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह चुनाव खास महत्व रखता है। मुकाबले में एक ओर एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं, तो दूसरी ओर विपक्ष (INDIA ब्लॉक) ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी पर भरोसा जताया है।
इस चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सांसद दूसरे दल के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं? इसका जवाब है हां — क्योंकि इस चुनाव में सांसदों को पूरी वोटिंग स्वतंत्रता दी जाती है।
क्यों लागू नहीं होता व्हिप?
उपराष्ट्रपति चुनाव में व्हिप जारी नहीं किया जा सकता। यानी किसी सांसद को न तो मतदान के लिए बाध्य किया जा सकता है और न ही किसी खास उम्मीदवार को वोट देने के लिए मजबूर किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि यह चुनाव किसी पार्टी चिन्ह पर आधारित नहीं होता।
क्रॉस वोटिंग की संभावना
इस व्यवस्था के चलते सांसद चाहें तो दूसरे दल के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, कोई बीजेपी सांसद विपक्ष के उम्मीदवार को चुन सकता है और विपक्षी सांसद एनडीए प्रत्याशी को। इस तरह की स्थिति में कानूनी कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे क्रॉस वोटिंग की संभावनाएं अधिक रहती हैं।
दल-बदल कानून से छूट
उपराष्ट्रपति चुनाव में दल-बदल कानून लागू नहीं होता। यानी क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसदों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। हालांकि, पार्टी अपने स्तर पर ऐसे सांसदों से जवाब-तलब कर सकती है या आंतरिक कार्रवाई कर सकती है।
🗳️ लोकतंत्र और रणनीति की असली परीक्षा
यह चुनाव केवल उपराष्ट्रपति चुनने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांसदों की राजनीतिक रणनीति और स्वतंत्रता का भी इम्तिहान है। नतीजे तय करेंगे कि सांसद अपने विवेक से कितने अलग निर्णय ले पाते हैं।