
दिल्ली : – देश के अगले राष्ट्रपति का नाम आज शाम को सामने आ जायेगा। इसके चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। ऐसे में यह जानना अहम है कि उपराष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित क्या है? जीत का आंकड़ा क्या होगा?कौन-कौन इस चुनाव में वोट डालेगा और किसने चुनाव से दूर रहने का संकल्प लिया है। सरकार और विपक्ष के बीच मतों को लेकर खींचतान का नजारा इस चुनाव में नजर आने लगा है। देश में आज (9 सितंबर) उपराष्ट्रपति चुनाव का दिन है। एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का मुकाबला इंडिया गठबंधन की तरफ से उतारे गए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी से है। इसी दिन शाम तक या देर रात तक मतगणना होगी और देश के अगले उपराष्ट्रपति का नाम तय हो जाएगा। उपराष्ट्रपति चुनाव का पूरा गणित क्या पीएम मोदी पहले ही सेट कर चुके है? ऐसे में कौन-कौन इस चुनाव में वोट डालेगा और जीत का आंकड़ा क्या होगा? इसे लेकर सरगर्मियां तेज है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सांसदों को भी वोट डालने का अधिकार दिया गया है। राज्यसभा में फिलहाल 12 मनोनीत सदस्य हैं।

फिलहाल लोकसभा में पूर्ण संख्याबल 543 से एक सांसद कम हैं। यानी लोकसभा में फिलहाल 542 सांसद हैं। बशीरहाट सीट के सांसद के निधन के बाद से इस सीट पर उपचुनाव नहीं हो पाया है। ऐसे में लोकसभा से उपराष्ट्रपति चुनाव में 542 सांसद ही वोट करेंगे। जबकि राज्यसभा में पूर्ण संख्याबल- 245 सांसदों के मुकाबले फिलहाल 239 सांसद हैं। इनमें 12 नामित सांसदों की संख्या पूरी है, लेकिन निर्वाचित सांसदों के लिए तय छह सीटें खाली हैं। इनमें से चार जम्मू-कश्मीर से, एक पंजाब से और एक झारखंड से हैं। जहां आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा ने हाल ही में विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया था, वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का हाल ही में निधन हो गया था। राज्यसभा की खाली सीटों को भरने के लिए उपचुनाव भी नहीं कराए जा सके। ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 227 निर्वाचित सांसद और 12 मनोनीत सांसदों समेत कुल 239 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर वोटरों की संख्या 770 है। ऐसे में किसी भी उम्मीदवार को उपराष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 386 वोट चाहिए होंगे। हालांकि, अगर एक से ज्यादा उम्मीदवार रहते हैं और प्रथम वरीयता के वोटों में किसी को 386 वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों को गिना जाएगा। इस लिहाज से विजेता का फैसला होगा।

हालांकि, सोमवार को ही नवीन पटनायक के नेतृत्व वाले बीजू जनता दल (बीजद) और के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) की तरफ से उपराष्ट्रपति चुनाव में शामिल न होने का एलान कर दिया गया। गौरतलब है कि बीते आम चुनावों में लोकसभा से दोनों ही पार्टियों का सूपड़ा साफ हो गया था। ऐसे में इन दोनों ही दलों के राज्यसभा में ही सांसद बचे थे। लेकिन अगर यह दल मतदान में हिस्सा नहीं लेते तो राज्यसभा के कुल 228 सांसद (216 निर्वाचित और 12 मनोनीत) ही मतदान करेंगे। बीआरएस के चार और बीजद के सात सांसद वोट नहीं करेंगे। गौरतलब है कि दोनों सदनों का पूर्ण संख्याबल 788 है। खाली सीटों को हटा दिया जाए तो कुल मिलाकर 22 अगस्त को जब उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होगी, तो इसमें 781 सांसद वोट डालने के अधिकारी होंगे। लेकिन बीजद-बीआरएस की गैरमौजूदगी में कुल 770 सांसद वोट डाल सकते हैं। इस लिहाज से बहुमत का आंकड़ा बीजद-बीआरएस की मौजूदगी में 391 हो सकता है था। लेकिन इनके वोटिंग में हिस्सा न लेने पर बहुमत 386 वोटों पर मिल जाएगा।

केंद्र में मौजूदा समय में एनडीए के पास बहुमत है। यानी सीधे शब्दों में कहें तो लोकसभा में इस गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत है। हालांकि, विपक्षी इंडिया गठबंधन भी खास पीछे नहीं है। ऐसे में आगे का खेल बचता है राज्यसभा के सांसदों से। यहां भी टक्कर कांटे की है। लोकसभा की 542 सीटों में से एनडीए के पास फिलहाल 293 सांसद हैं। इनमें अकेले भाजपा के पास 240 सांसद हैं। इसके बाद दो और पार्टियों- तेदेपा और जदयू के पास क्रमशः 16 और 12 सीटें हैं। वहीं, शिवसेना के पास सात और लोजपा के पास पांच सांसद हैं। इन पांच पार्टियों को ही मिला दें तो एनडीए बहुमत के आंकड़े के पार पहुंच जाता है। वहीं, छोटी-बड़ी सभी पार्टियों का साथ रहने पर 293 वोट एनडीए को मिलना तय हैं। इसके अलावा वाईएसआर कांग्रेस ने सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने का फैसला किया है। इस लिहाज से एनडीए के पास चार और सांसद जुड़ने के साथ उसे कुल 297 वोट मिल जाएंगे। दूसरी तरफ विपक्षी इंडिया गठबंधन के पास 235 सीटें हैं, जो कि भाजपा से भी पांच सीट कम हैं। लोकसभा में मौजूदा समय में सात निर्दलियों और रुख न साफ करने वाली तीन पार्टियों के सांसदों को मिला भी दिया जाए तो 10 सीटें होती हैं, जो कि इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार को जिताने के लिए नाकाफी होंगी। यानी लोकसभा के दम पर विपक्ष का उपराष्ट्रपति चुनाव में अपने नेता को जिताना बिना एनडीए की पार्टियों में टूट-फूट कराए संभव नहीं होगा। इधर BJD ने चुनाव से दूर रहने का एलान किया है। उसने NDA और इंडी गठबंधन से समान दूरी बना ली है।राज्यसभा में 239 सांसदों के मौजूदा आंकड़े में से एनडीए के पास 125 सांसद हैं। इनमें अकेले भाजपा के पास 102 सीटें हैं। साथ ही वाईएसआर कांग्रेस के सात सांसदों को मिला दें तो एनडीए के पास 132 सांसदों का समर्थन है।

वहीं, विपक्षी इंडिया गठबंधन के पास 85 सांसद हैं। दरअसल, राज्यसभा में फिलहाल 12 मनोनीत सांसदों में से पांच भाजपा के सदस्य हैं। इसके अलावा बचे हुए सात नामित सांसदों का रुख तय नहीं है। तीन सांसद निर्दलीय हैं। यानी कुल 10 सांसद किसी भी पक्ष में वोट कर सकते हैं। इसके अलावा बीजद-बीआरएस वोट नहीं करेंगे। अगर बचे हुए सात मनोनीत सांसद और तीन निर्दलीय सांसद मिलकर भी अपना समर्थन इंडिया गठबंधन को दे दें तो भी इंडिया गठबंधन की सीटों की संख्या 95 पहुंचेगी। इस स्थिति में भी विपक्ष एनडीए से पीछे ही रहेगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर एनडीए के पक्ष में 434 वोट पड़ना लगभग तय है। दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन को सामान्य तौर पर 320 वोट मिल सकते हैं। इन आंकड़ों में लोकसभा और राज्यसभा के निर्दलियों और राज्यसभा के ऐसे मनोनीत सांसदों को शामिल नहीं किया गया है, जो कि किसी पार्टी में शामिल नहीं हैं। ऐसे में एनडीए और इंडिया के उम्मीदवारों को मिलने वाले वोटों में बदलाव संभव है। फ़िलहाल, इस गणित पर गौर करे तो NDA उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है।