News Today : महारानी की वापसी? पीएम मोदी की रैली में मंच पर दिखीं वसुंधरा, बीजेपी के राजस्‍थान रोडमैप को लेकर चर्चाएं तेज

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अजमेर : News Today : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते बुधवार को राजस्थान में थे. इस दौरान पीएम मोदी के साथ मंच पर लंबे अरसे के बाद राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी दिखीं. भाजपा के दो दिग्गज नेताओं के मंच साझा करने की इस घटना ने जयपुर के सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी. कयास लगने शुरू हो गए कि क्या भाजपा आने वाले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे के चेहरे पर एक बार फिर दांव लगा सकती है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल कई बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं. नाथद्वारा, दौसा और भीलवाड़ा में पीएम मोदी के कार्यक्रम हुए हैं, मगर उन कार्यक्रमों में कहीं भी वसुंधरा राजे नहीं दिखी थीं. अजमेर में ऐसा नहीं हुआ. अजमेर में बुधवार को हुई जनसभा में पीएम मोदी के आने से कुछ ही देर पहले वसुंधरा मंच पर पहुंचीं. हालांकि इस सभा को पूर्व मुख्यमंत्री ने संबोधित नहीं किया, मगर जिस तरह उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को धकेलते हुए पीएम मोदी के नजदीक अपनी जगह बनाने का प्रयास किया, उस पर संभवतः किसी का ध्यान नहीं गया.

राजस्थान की कद्दावर नेता
राजस्थान भाजपा के एक बड़े नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर न्यूज18 से कहा, ”राजे कद्दावर नेता हैं… राजस्थान में, वह पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा बनी हुई हैं. सचिन पायलट ने राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई के लिए अपनी ही पार्टी में बगावत की, यह दिखाता है कि राजस्थान की सियासत के मद्देनजर केंद्रीय नेतृत्व उन्हें दरकिनार नहीं कर सकता.” हालांकि इस नेता ने यह भी जोड़ा कि मुख्यमंत्री पद के लिए किसी उम्मीदवार का नाम आगे किए बिना पार्टी अब भी राजस्थान में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है.

राजे की क्षमता जानती है भाजपा
भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा कि पार्टी के पास राजस्थान में कई बड़े चेहरे हैं, जैसे- सीपी जोशी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और राजेंद्र राठौड़. पार्टी जानती है कि कांग्रेस ने राजस्थान में पिछला विधानसभा चुनाव राजे को हटाने के नाम पर ही लड़ा था. उस समय नारा मशहूर हुआ था, ‘मोदी तुझसे बैर नहीं, पर रानी तेरी खैर नहीं.’ पार्टी यह भी जानती है कि वसुंधरा राजे में वापसी करने का माद्दा है, साल 2003 और 2013 में वह यह दिखा चुकी हैं.

कर्नाटक परिणाम भी बड़ा कारण
वसुंधरा राजे के चेहरे पर दांव लगाने की वजहों में कर्नाटक चुनाव परिणाम भी अहम है. भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से लगभग 2 साल पहले राज्य के सबसे बड़े नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येद्दीयुरप्पा को सीएम पद से हटा दिया था. कई सियासी जानकार कर्नाटक चुनाव में भाजपा की हार के लिए इस तथ्य को भी महत्वपूर्ण मानते हैं. कांग्रेस ने कर्नाटक चुनाव से पहले कई लोकलुभावन योजनाओं को अपने घोषणापत्र में शामिल किया. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है. पीएम मोदी के बुधवार के दौरे के ठीक बाद 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा, इसी का हिस्सा है.

ऐसे में जबकि इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं, भाजपा के लिए कठिन है कि इन परिस्थितियों में वह राजस्थान में अपनी पार्टी के सबसे अहम चेहरे वसुंधरा राजे की अनदेखी करे. यह गौरतलब है कि साल 2013 में वसुंधरा राजे ने गहलोत की अगुवाई वाली कांग्रेस पार्टी को विधानसभा की 200 में से महज 21 सीटों तक समेट दिया और राजस्थान में अपनी सरकार बनाई थी.