
बनारस: Varanasi News: प्रसिद्ध संत मोरारी बाबू को मार्मिक अंदाज में क्षमा मांगते देखते लोगों की आंखे उस वक़्त नम हो गई, जब काशी विश्वनाथ में अचानक एक विवाद सामने आया। इस विवाद को नया राजनैतिक-धार्मिक रंग मिलता, उससे पूर्व प्रसिद्ध संत ने साफ किया कि वे विवाद के पक्षधर नहीं है, बल्कि संवाद के आदमी है। ‘क्षमा बड़न कों चाहिए’ कहते हुए मोरारी बापू ने वैष्णव परंपरा का हवाला देते हुए अपनी ओर से विवाद का पटाक्षेप कर दिया। इसके साथ ही प्रसिद्ध संत ने व्यासपीठ से काशी के संत समाज को संदेशा दिया कि आने वाले दिनों वे मानस ‘क्षमा’, मानस ‘लालसा’ और मानस ‘कबीर’ पर कथा भी कहेंगे। कब कहेंगे इसके लिए उन्होंने भगवान भोलेनाथ पर ही फैसला छोड़ दिया। काशी-विश्वनाथ में इन दिनों मोरारी बापू मानस ‘सिन्दूर’ पर प्रवचन दे रहे है। स्थानीय रुद्राक्ष कन्वेंशन हॉल में उनका सत्संग सुनने के लिए भारी भीड़ जुट रही है।

बनारस में मोरारी बापू का संदेशा घर-घर देखा और सुना जाता है। उनकी यहाँ फ्लावर वेली काफी मजबूत है। विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब वैष्णव परंपरा से ना-वाकिफ कई पंडों ने यह कहते हुए हंगामा खड़ा कर दिया कि मोरारी बापू ने ‘सूतक’ में काशी विश्वनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना की है। दरअसल, इसी हफ्ते मोरारी बापू की पत्नी नर्मदाबा का निधन हुआ था। इसके बाद ही वैष्णव परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार और अन्य क्रियाओं को संपन्न करने के बाद मोरारी बापू ने एक बार फिर सत्संग का रुख किया था। वे काशी में 958 कथा मानस सिन्दूर पर रामायण ग्रंथ-वाचन की खूबियां बता रहे थे। इस बीच रामायण पाठ के पहले ही दिन काशी के कई पंडों ने हंगामा खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोरारी बापू ने सूतक काल में मंदिर प्रवेश और पूजा अर्चना कर सनातनी परंपरा की अवहेलना की है।

इस घटनाक्रम के बाद काशी की सड़कों में हिन्दू धर्म के कई पैरोंकारों ने मोरारी बापू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी भी की। मामला संज्ञान में आते ही मोरारी बापू ने भी सफाई देने में देर नहीं की। मोरारी बापू ने विरोध होने के बाद काशी के संतों और विद्वत समाज से माफी मांगी है। रविवार को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में व्यासपीठ से मोरारी बापू ने कहा कि हम यहां आए, शिवजी के दर्शन करने गए, जल चढ़ाया और कथा गाने लगे। यह बात कई पूज्य चरणों और कई महापुरुषों को ठीक नहीं लगी। किसी को ठेस लगी हो तो मैं आप सबके प्रति क्षमा प्रार्थी हूं। उन्होंने कहा कि मैं क्षमा मांग लेता हूं, आप चिंता न करें, हम संवाद करते रहेंगे, गाते रहेंगे। इसके लिए मैं मानस क्षमा कथा भी कहूंगा। जानकारी के मुताबिक पत्नी नर्मदाबा के हालिया निधन के बाद मुरारी बापू रामकथा का वाचन करने 14 जून को वाराणसी पहुंचे थे।

आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू की धर्म पत्नी 79 वर्षीय नर्मदाबा का बुधवार 12 जून को गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गांव में निधन हो गया था, नर्मदाबा कुछ समय से अस्वस्थ थीं। मोरारी बापू के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि वैष्णव परंपरा के अनुसार धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न करने के बाद कथावाचक मोरारी बापू पूर्व निर्धारित सत्संग हेतु वाराणसी पहुंचे थे। लेकिन देखते ही देखते वे कुछ साधु-संतों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों के निशाने पर आ गए। काशी में कई पंडों और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने सनातनी परंपरा का हवाला देते हुए बापू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्होंने कहा कि तेरहवीं और दशमी तिथि को होने वाली क्रियाओं के संपन्न होने से पूर्व ही मोरारी बापू ने मंदिर प्रवेश किया था।

उन्होंने यह भी दावा किया कि सूतक काल में ऐसी पूजा अर्चना, रामायण पाठ और अनुष्ठान वर्जित है। गीता के कुछ श्लोकों का हवाला देते हुए सनातनी परम्पराओं का उल्लेख भी उनके द्वारा किया गया। काशी में मोरारी बापू ने बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर जलाभिषेक किया था। उन्होंने कुछ देर मंदिर परिसर में बिताया और साधु-संतों से चर्चा भी की। इसके बाद कथा स्थल पहुंचे ही थे कि सड़कों पर उनका विरोध शुरू हो गया। अब, सत्संग स्थल से लेकर मंदिर प्रांगण में मोरारी बापू की क्षमा याचना चर्चा का विषय बनी हुई है। कई लोग इसे स्थानीय साधु-संतों की राजनीति से भी जोड़ कर देख रहे है। उनके मुताबिक वैष्णव परंपरा के दर्शन और मान्यताओं से बे-खबर लोगों ने हंगामा खड़ा किया है।

उधर मोरारी बापू ने वैष्णव परंपरा कों प्रभावी और देश काल परिस्थितियों के अनुसार जड़ता मुक्त निरूपित करते हुए कई रचनात्कमक तथ्यों से अवगत कराया। मोरारी बापू ने धार्मिक कट्टरता परम्पराओं और रूढ़िवादी दृष्टिकोण को लेकर अपना तर्क भी दिया। हालांकि रविवार को व्यासपीठ से माफी मांगते हुए मुरारी बापू ने नाराज लोगों से कहा कि आप सब बड़े हो, हम छोटे हैं, क्षमा बड़न को चाहिए। उन्होंने कहा कि एक मंगल विधान के दौरान सब हो रहा है, फिर भी अगर किसी को ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा मांग रहा हूं।
मोरारी बापू ने कहा कि हमारे बाबा कहते हैं कि अग्नि में ज्यादा लकड़ी डालने से आग ज्यादा भड़कती है। मैं भी खुलासा कर सकता हूं। मेरे पास भी शास्त्र हैं, लेकिन, ऐसी छोटी-छोटी बातों से हम बिलग नहीं हो सके। भारतीय संस्कृति के उपासक को कोई विलग नहीं कर सकता। आप सबके प्रति मेरे हृदय की यही भावना है। सोमवार को एक प्रश्न का जवाब देते हुए मोरारी बापू ने साधकों से कहा कि वे काशी बारंबार आएंगे, यहाँ परमपिता विराजते है, उन्होंने कहा कि कबीर मैदान का आदमी है, आगामी समय मानस कबीर पर बोलेंगे। कथा स्थल से कहा-ये बात किसी को बुरी लगी हो, तो मैं माफी मांगता हूं। इसके लिए मैं मानस क्षमा कथा भी कहूंगा। मैं प्रभु की कथा करता रहूंगा। इसके लिए ही यहां आया हूं।