उत्तराखंड चमोली आपदा : जानवरों ने भी अपनों को खोया, सैलाब में बह गए इस बेजुबान डॉगी के बच्चे, एक सप्ताह बीतने के बाद भी खाना-पीना त्यागकर आँखों में आंसू लिए दिन-रात अपने बच्चों की बाट जोह रही है ये डॉगी, झकझोर देगी बेजुबान जानवर की ये दास्तान

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चमोली / 7 फरवरी वह काला दिन था जिसको चमोली जिला समेत उत्तराखंड और पूरा देश कभी नहीं भुला पाएगा। चमोली जिले में पल भर में सब तबाह हो गया। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चमोली में ऐसा कुछ हो जाएग। सच में आपदा कभी भी दस्तक देकर नहीं आती। वह पल भर में आती है और सब कुछ उजाड़ कर ले जाती है और देखते ही देखते सब कुछ तबाह हो जाता है।

कहते हैं ना कि मां, मां होती है | मां मनुष्य की हो या जानवर की, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है | कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है उत्तराखंड के चमोली जिले में जहां ऋषि गंगा, अलकनंदा में आयी बाढ़ के कारण लापता हुए अपने बच्चों की तलाश में पिछले सात दिन से एक डॉगी इंतजार कर रही है और इस आशा से बचावकर्मियों के पास बनी हुई है कि शायद उसके बच्चे भी बचा लिए जाएं |

अलकनंदा नदी में ठीक एक सप्ताह पहले अचानक आई बाढ़ के बाद सुरंग में फंसे लोगों को सुरक्षित बचाए जाने की आशा में इंतजार कर रहे लोगों के लिए घंटे दिन में और अब दिन सप्ताह में बदल गए हैं | आपदा में पूरी तरह बर्बाद हो गई दो पनबिजली परियोजनाओं में फंसे अपने परिजनों के इंतजार में ग्रामीण और रिश्तेदार वहां इंतजार कर रहे हैं और इन इंतजार करने वालों में भूरे रंग की एक डॉगी भी शामिल है | यह मां भी अपने बच्चों का इंतजार कर रही है | 1 हफ्ते से इस डॉगी ने कुछ खाया-पिया भी नहीं है। वह बस अपने बच्चों का इंतजार कर रही है जो बाढ़ में बह गए हैं। एक मां का दिल उम्मीद कभी नहीं छोड़ता।

पिछले 7 दिनों से यह मासूम हर रोज नदी की ओर देखती रहती है। इसी आस में कि उसके बच्चे वापस आएंगे। स्थानीय लोगों ने बताया कि 7 फरवरी को आई बाढ़ में इस मासूम के बच्चे भी बह गए हैं। साथ ही जो भी कर्मचारी ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट में काम करते थे और जो उसको खाना देते थे वह भी आपदा में बह गए हैं।

उस दिन के बाद से ही यह बेजुबान उदास है और वह रोज सुबह आकर एक खाली जगह पर बैठ जाती है और उस गंगा नदी को निहारती रहती है जिसने उससे उसके बच्चों को छीन लिया। उसे अभी भी उम्मीद है कि उसके बच्चे वापस आएंगे। कई लोग दया करके उसको खाना देने की कोशिश करते हैं लेकिन वह बीते 1 हफ्ते से कुछ भी नहीं खा रही है और अपने बच्चों का लगातार इंतजार कर रही है।

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अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 200 से ज्यादा लोग लापता हैं 51 शव बरामद हुए हैं और 2 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है | रविवार को 5 शव और बरामद हुए हैं इनमें से चमोली जिले के रैंणी गांव से और तीन शव एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना की मलबे से भरी सुरंग से बरामद किए गए हैं | इस सुरंग में पिछले एक सप्ताह से करीब 30 लोग फंसे हुए हैं |