दिल्ली : – दिल्ली से लेकर वाशिंगटन तक पीएम मोदी छाये हुए है। चीन, रूस, पाकिस्तान और अमेरिका में उनके किस्से और कड़े फ़ैसले सुर्खियों में है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर टैरिफ लगाने के चलते अपने ही देश अमेरिका में घिरते जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत पसंद पत्रकारों की कोई कमी नहीं है। इसका उदाहरण कई मौंको पर देखने को मिल रहा है। जब कभी भी ट्रम्प और मोदी से जुड़े सवालों को लेकर अन्तराष्र्टीय मंच पर साझा किया जा रहा है, तब जवाब देने वाले सीधे भारत का समर्थन कर रहे है। सवाल जवाब के इस दौर में दिलचस्प नजारा उस समय देखने को मिल रहा है, जब पूछे जा रहे सवालों के बीच पत्रकारों के चेहरे पर खुशियां झलकने लगती है, उत्तर ही ऐसा मिल रहा है कि ट्रंप की मूर्खता के अलावा कोई ठोस तथ्य नहीं, जवाब सुनकर भारत भूमि से प्यार करने वाले पत्रकारों की बांछे खिल रही है। शीर्ष अमेरिकी राजनेता और अधिकारी ट्रंप की टैरिफ नीति की अब खुलकर आलोचना कर रहे हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और विदेश मामलों के जानकार एडवर्ड प्राइस ने भी ट्रंप की नीति की तीखी आलोचना कर वाइट हाउस को हैरत में डाल दिया है। उन्होंने जहाँ ट्रंप को लताड़ लगाई वही पीएम मोदी को सराहा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी बेहद चतुर हैं और वे समझदारी से कदम उठा रहे हैं। उनके इस बयान से अमेरिकी मीडिया भी गदगद नजर आ रहा है, उसने इस खबर को प्रमुखता से उठाया है।

मोदी नीति से साफ़ हो रहा है कि भारत के स्थायी तौर पर रूस-चीन के पाले में जाने की उम्मीद फ़िलहाल कम ही नजर आ रही है। एससीओ बैठक में पीएम मोदी, शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात की दुनियाभर में चर्चा है। न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में जब इसे लेकर जब एडवर्ड प्राइस से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘रूस का अब कोई खास प्रभाव नहीं रह गया है। पुतिन कोशिश कर रहे हैं कि जैसा सोवियत संघ का प्रभाव था, वैसा ही प्रभाव रूस का बनाया जाए, लेकिन यही पुतिन की समस्या है क्योंकि अब रूस का नहीं बल्कि दुनिया पर चीन का ज्यादा प्रभाव है और रूस भी चीन के प्रभाव का ही हिस्सा है।’ प्राइस ने कहा कि ‘भारत, चीन के प्रभाव का हिस्सा बनना पसंद नहीं करेगा क्योंकि भारत एक आजाद संप्रभु देश है, जिसकी अपनी सभ्यता रही है। ऐसे में उम्मीद कम है कि भारत, स्थायी तौर पर चीन के प्रभाव को स्वीकार करेगा। पीएम मोदी बेहद चतुर हैं और वे बेहद समझदारी से काम कर रहे हैं। वे बस अमेरिकियों को याद दिला रहे हैं कि उनके पास विकल्प मौजूद हैं, लेकिन वे पूरी तरह से चीन और रूस के पाले में नहीं जा रहे हैं और यही वजह है कि वे चीन की सैन्य परेड में शामिल नहीं हुए।’ फ़िलहाल भारत के घुटने नहीं टेकने से ट्रंप की नींद हराम बताई जाती है।
