अमेरिका ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) की सूची में शामिल कर लिया है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आग्रह पर लिया गया और इसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता माना जा रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार देर रात बयान जारी कर इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने इसे पीड़ितों के प्रति न्याय की दिशा में एक मजबूत कदम बताया। उनके मुताबिक, टीआरएफ, जो लश्कर-ए-तैयबा (LET) का एक फ्रंट संगठन है, ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में लश्कर का सबसे घातक हमला माना गया।
रुबियो ने कहा कि टीआरएफ ने 2024 में भी भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले किए थे। यह निर्णय आतंक के खिलाफ अमेरिका की वैश्विक लड़ाई और भारत के साथ सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्रंप ने हमले के बाद फोन कर भारत को पूर्ण समर्थन देने की बात कही थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हाल ही में अमेरिका में हुई क्वाड बैठक के दौरान टीआरएफ मुद्दा उठाया था। वहीं, शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से मिलकर टीआरएफ की भूमिका को उजागर किया।
गौरतलब है कि भारत ने पहले ही 5 जनवरी 2023 को टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित कर दिया था। यह संगठन कश्मीरी युवाओं को गुप्त रूप से आतंकी गतिविधियों में शामिल करता है, जिन्हें “हाइब्रिड आतंकी” कहा जाता है।
