कटिहार: बिहार के कटिहार जिले के अमदाबाद एक दर्जन से ज्यादा गांवों में अनोखी परम्परा निभाई जाती है। यहां बेटियों की शादी से पहले अनोखी शर्त रखी जाती है। शर्त पूरी होने के बाद ही लड़की वाले अपनी बेटी उस लड़के से ब्याहते हैं। शादी तय होने के समय लड़की वाले लड़के वाले की पूरी जांच पड़ताल करते हैं और शर्त पर खरा उतरने के बाद लड़के को उसकी दुल्हनिया दी जाती है। शादी से पहले लड़की वाले लड़के वाले से पूछते हैं कि उनके पास नाव है या नहीं ? अगर आपके पास नाव नहीं है तो फिर शादी भूल जाइए। हालांकि लड़का अगर पसंद आ जाए तो इस स्थिति में होने वाले दामाद को उपहार में नाव ही दे दी जाती है।
जानकारी के मुताबिक मेघु टोला गांव के भोला सिंह के पोते की शादी का रिश्ता बंगुरी टाल गांव में तय हुआ था। लड़की के परिजनों ने घर में नाव के बारे में पूछताछ की तो, मेरे यहां नाव नहीं होने की बात सामने आई। जिसके कारण लड़की वालों ने रिश्ता करने से मना कर दिया। लड़की वालों ने नाव नहीं होने के कारण रिश्ता ठुकरा दिया था।
वही मथुरापुर के रतन सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे की शादी कराई है। उसने बताया कि संबंध जोड़ने से पहले मेरे पुत्र वधू के परिजनों ने ग्रामीण और आसपास के लोगों से पता किया कि मेरे पास नाव है या नहीं ? उन लोगों को पता चला कि मेरे पास नाव नहीं है। उन्हें मेरा बेटा काफी पसंद था और यह रिश्ता छोड़ना नहीं चाह रहे थे। उन्होंने पहले उपहार स्वरूप नाव बनवा कर दिया फिर मेरे बेटे की शादी हो पाई।
दरअसल यह कोई परंपरा नहीं बल्कि बाढ़ ग्रस्त इलाका होने के कारण मजबूरी है। अमदाबाद प्रखंड गांव से होकर महानंदा और गंगा नदी गुजरती है। भीषण बाढ़ आने के कारण जमकर कटाव होता है। इससे आवागमन की समस्या भी आ जाती है। करीब चार महीने तक इस इलाके के लोग दहशत में रहते हैं। बाढ़ के कारण सड़कें डूब जाती हैं।
यहां अस्पताल, प्रखंड मुख्यालय या कहीं और जाना हो तो इन 14 गांवों के लोगों के लिए नाव ही एकमात्र साधन होता है। इन्हीं कारणों की वजह से लोग इन गांव में अपनी बेटी की शादी कराने के लिए पहले लड़के वाले के घर नाव है या नहीं इसकी पड़ताल करते हैं। अगर नाव नहीं रहती है तो अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करते हैं।