गाय के गोबर से बनेगा पेंट, फार्मूला लेकर आये केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, कई प्रयोगो के बाद गडकरी का ‘गोबर मंत्र’, जानिए आखिर क्यों हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री क्यों खुलवाना चाहते हैं गडकरी?

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नागपुर / केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने प्रयोगों के लिए जाने पहचाने जाते है। कृषि आधारित उत्पाद हो या फिर कचरे और क्रांकीट की वस्तुओं से जुड़े मसले, गडकरी ज्ञान अदभुत माना जाता है। इन दिनों गडकरी देश के हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलवाने की तैयारी में नजर आ रहे है। इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार करने में जुटा है। न्यूज़ टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय मंत्री गडकरी का सपना साकार हुआ तो हर गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने से शहरों की तरफ पलायन की समस्या खत्म होगी।

गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना अनोखा पेंट लांच होने के बाद इसकी डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है। उन्होंने बताया कि अभी जयपुर में ट्रेनिंग की व्यवस्था की गई है। यहाँ ट्रेनिंग लेने वालों की भारी भीड़ है। साढ़े तीन सौ लोग वेटिंग लिस्ट मे हैं। उन्होंने बताया कि गोबर से पेंट बनाने के फार्मूले की पांच से सात दिनों की ट्रेनिंग होती है। ऐसे में वो देश भर में ट्रेनिंग सुविधा बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। उनके मुताबिक वे चाहते है कि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेनिंग लेकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री का संचालन करें। हर गांव में एक फैक्ट्री खुलने से ज्यादा रोजगार पैदा होगा।

दरअसल, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 12 जनवरी, 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च किया था। यह पेंट इकोफ्रेंडली है। पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ फफूंद-रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला है। गाय के गोबर से बने और भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित, यह पेंट गंधहीन है। यह पेंट दो रूपों में उपलब्ध है – डिस्टेंपर तथा प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के रूप में मार्केट में आया है।

गडकरी की दलील है कि गांव – गांव में पेंट बनाने की फैक्ट्री खुलने से किसानों की कमाई बढ़ेगी। उनके मुताबिक पेंट की बिक्री बढ़ने के बाद गांवों में गोबर की खरीद भी बढ़ेगी। सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपये कमाएंगे। अभी तक किसान गोबर का सिर्फ खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, गांव-गांव पेंट की फैक्ट्रियां खुलने के बाद गोबर की खरीद का भी एक तंत्र बन जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। मोदी सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी है। ऐसे में गोबर के माध्यम से भी किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में गडकरी फार्मूले की चर्चा देश भर में हो रही है।

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एमएसएमई मिनिस्ट्री के मुताबिक केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले साल मार्च 2020 से गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को फार्मूला बताया था। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की जयपुर में स्थित यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने गडकरी फार्मूले के तहत गोबर से पेंट तैयार करने में सफलता हासिल की थी। बताया जाता है कि आम पेंट की तरह गोबर से बने पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का मिश्रण नहीं होता। बताया जाता है कि यह पेंट काफी सस्ता और गुणवत्ता वाला है।