छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अन्तर्गत गोवर्धन योजना में बड़ी धांधली, अफसरों और कंपनियों के लिए अवैध आय का जरिया बन गया स्वच्छ भारत अभियान, सीबीआई, EOW और आदिवासी आयोग को लेना होगा मोर्चा, तभी योजना का लाभ मिल पायेगा हितग्राहियों को, छत्तीसगढ़ सरकार के जिम्मेदार अधिकारीयों, एमएलए और सांसदों को इस योजना की लेनी होगी सुध

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रायपुर / बस्तर – छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत अभियान का दम निकल गया है | यह योजना भ्रष्टाचार की भेट चढ़ने के कारण फ्लॉप होने की कगार पर पहुँच गई है | केंद्र और राज्य सरकार की गाइड लाइन का पालन नहीं करने से इस योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार देखा जा रहा है | ज्यादातर अधिकारीयों की कार्यप्रणाली ना केवल संदिग्ध है, बल्कि उनके द्वारा किये गए कार्यों की जमीनी हकीकत जानने के लिए सरकारी एजेंसियों को मौके का रुख करना होगा | यही नहीं स्वच्छ भारत अभियान की विभिन्न योजनाओं में जारी किये गए टेंडर के नियमों एवं शर्तों के मापदंड को पूरी ना करने वाली कंपनियों को मिले वर्क आर्डर की जाँच भी बेहद जरुरी है |

बताया जा रहा है कि अधिकारीयों की मिली भगत से लगभग 150 करोड़ का टेंडर चार अलग अलग सूचीबद्ध कंपनियों को देने के बजाये एक ही कंपनी को दिया गया है | शिकायत के मुताबिक इस एक मात्र कंपनी ने चार अलग -अलग नामों से टेंडर भरा और जिम्मेदार अफसरों ने सुनियोजित रूप से उन्हें ठेके आवंटित कर दिए | शिकायत के मुताबिक इस टेंडर प्रक्रिया में जिम्मेदार अफसरों ने गाइड लाइन की धज्जियाँ उड़ाते हुए एक मात्र कंपनी को लाभ पहुंचाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी |

बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में स्वच्छ भारत अभियान के तहत कार्य कर रही, चारों कंपनियों का प्रतिनिधित्व केवल एक ही व्यक्ति सौरव मिश्रा नामक शख्स द्वारा किया जा रहा है। यही नहीं राज्य सरकार दौरा कतिपय जिम्मेदार अफसरों के निर्देश पर संविदा अधिकारी के रूप में रूपेश राठौड़ नामक कर्मी की नियुक्ति की गई है | दोनों ही कर्मियों रुपेश राठौड़ और सौरव मिश्रा की कार्यप्रणाली और भूमिका की सरकारी एजेंसियों से जाँच की मांग की गई है | शिकायत में कहा गया है कि स्वच्छ भारत अभियान को अवैध आय का जरिया बनाने में इन्ही दो व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका है | लिहाजा इनकी कार्यप्रणाली और जिम्मेदार अफसरों के साथ दोनों की साठ गांठ की जाँच बेहद जरुरी है |

शिकायत में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ मंत्रालय में एसी कमरों में बैठ कर स्वच्छ भारत अभियान की जिम्मेदारी संभल रहे, अफसरों की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है। ये अफसर भी हितग्राहियों के बजाये अपना और कंपनी के हितों की वकालत कर रहे है | शिकायतकर्ता ने मांग की है कि बस्तर में संचालित स्वच्छ भारत अभियान के कार्यों की थर्ड पार्टी ऑडिट कराई जाये | ताकि असलियत सामने आ सके |

यह भी बताया जा रहा है कि मंत्रालय में बैठे एक जिम्मेदार अधिकारी के निर्देश पर बायोगैस की स्थापना टेंडर में उल्लेख स्पेसिफिकेशन को अनदेखा कर मूलभूत और महत्वपूर्ण काम चालू तरीक़े से किया जा रहा है। यही नहीं कंपनी को तय दर से ज्यादा की भुगतान किए जाने की तैयारी चल रही है | आदिवासी बाहुल्य बस्तर में स्वच्छ भारत अभियान की ना केवल कामयाबी बल्कि इसे घर घर तक पहुंचाना जनप्रतिनिधियों की जवाबदारी है |

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इससे ना केवल स्थानीय आबादी का सामाजिक विकास होगा बल्कि एक बड़ी आबादी विकास से जुड़ेगी | इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर व्यापक प्रयास कर रहे है | लेकिन कुछ जिम्मेदार अफसरों और कंपनियों की भ्रष्ट्राचार वाली सोच और कार्यप्रणाली इस योजना के उद्देश्यों पर पानी फेर रही है | उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय और राज्य की जाँच एजेंसियां और आदिवासी हितों के लिए कार्य कर रहे आयोग और सामाजिक संगठन स्वच्छ भारत अभियान की जमीनी हकीकत का जायजा लेंगे |