बेकाबू हुआ कोरोना : देश के कई राज्यों में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच प्रधानमंत्री मोदी की आज सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बड़ी बैठक, राज्यों को सख्ती बढ़ाने का दे सकते हैं निर्देश

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दिल्ली / देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस के संक्रमण को फिर से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक में महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि PM मुख्यमंत्रियों से उनके राज्यों में कोरोना से बने हालात, वैक्सीनेशन की स्थिति और संक्रमण को काबू करने के लिए की जा रही कोशिशों पर फीडबैक ले सकते हैं।

पीएम मोदी ने देश में वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू होने से पहले जनवरी में भी मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की थी। इस बैठक में उच्च स्तरीय समितियों की रिपोर्ट भी रखी जाएगी जिन्होंने हाल ही में कोरोना प्रभावित राज्यों का दौरा किया है। 17 मार्च को दोपहर साढ़े 12 बजे मुख्यमंत्रियों के साथ यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक शुरू होगी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बार की बैठक में देश भर में सख्त पाबंदियों पर भी फैसला हो सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हमने मीटिंग से जुड़े हर पहलू के लिए तैयारी कर ली है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट एंड एडवाइजर डॉ. सुनीला गर्ग ने कहा कि इस समय वैक्सीनेशन कवरेज और कोरोना के बढ़ते मामले चिंता का विषय हैं। वैक्सीनेशन के लिए लोगों की झिझक को देखते हुए यह प्रोग्राम धीमा हो गया है। दूसरी बात देश में बढ़ते मामलों की संख्या दूसरी लहर शुरू होने की ओर इशारा कर रहे हैं।

77 फीसदी मरीज तीन राज्यों में
कुल सक्रिय मरीजों में सेे 77 फीसदी सक्रिय मरीज तीन राज्यों में हैं। अकेले महाराष्ट्र में 59 फीसदी और केरल में 12.24 फीसदी सक्रिय मरीज हैं। वहीं पंजाब में भी इनकी संख्या बढ़ रही है। पंजाब में अभी 5.34 फीसदी सक्रिय मरीज हैं।

मंत्रालय ने बताया कि महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश में बीते सोमवार को सबसे ज्यादा मौत हुई हैं। अकेले महाराष्ट्र में ही सर्वाधिक 48 लोगों की जान गई है। हालांकि राहत की बात है कि राजस्थान, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, झारखंड, लद्दाख, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम, अंडमान निकोबार और अरूणाचल प्रदेश में एक भी मौत नहीं हुई है।
 
महाराष्ट्र में कोरोना महामारी की दूसरी लहर
महाराष्ट्र में वैश्विक कोरोना महामारी की दूसरी लहर शुरू हो गई है। लेकिन कोरोना की स्थिति चिंताजनक होते हुए भी महाराष्ट्र में कोविड-19 के नियमों का जिस तरह पालन होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजकर कड़ी नाराजगी जताई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण की ओर से महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सूबे में कोरोना की दुसरी लहर शुरू हो गई है। लेकिन कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए जरूरी उपाय अमल में नहीं लाए जा रहे हैं।

लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू बेअसर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना नियंत्रण के लिए अमल में लाए जा रहे सप्ताहिक लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू आदि को लेकर भी महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई की है। पत्र में लिखा है कि राज्य में फरवरी महीने से ही कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी। लेकिन इसपर नियंत्रण के लिए जो भी कदम उठाया गया। वह प्रभावी नहीं रहा। पत्र में सुझाव दिया गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के घर या सोसायटियों, कंटेनमेंट जोन और कांटेक्ट ट्रेसिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही, बस डिपो, रेलवे स्टेशन, झुग्गी बस्तियों जैसे भीड़ वाले इलाको में रैपिड एंटीजन टेस्ट शुरू किया जाए और डेथ ऑडिट दोबारा शुरू हो।

राज्य में लगे कड़े प्रतिबंध 
महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 23 लाख के पार हो चुकी है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर गणना की जाए तो 50 फीसदी से अधिक कोरोना के मरीज महाराष्ट्र में है। इसको देखते हुए राज्य सरकार ने 31 मार्च तक के लिए नई गाइडलाइन जारी की है जिसमें एक बार फिर 50 फीसदी उपस्थिति का सख्त प्रतिबंध लागू किया गया है। इस तरह राज्य में वर्क फ्राम होम नए निर्देशों के अनुसार होटल, रेस्तरां, सिनेमा और मल्टीप्लेक्स में केवल 50 फीसदी क्षमता पर काम करना होगा। शॉपिंग मॉल के लिए भी कोविड प्रोटोकाल लागू रहेगा। साथ ही सभी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समारोहों पर भी रोक लगा दी गई है। 

सरकारी खर्च पर वैक्सीनेशन
मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बार हुई बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पहले फेज में 3 करोड़ हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। 1 मार्च से शुरू हुए तीसरे फेज में आम लोगों को वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई है। अभी सरकारी हॉस्पिटल में फ्री में वैक्सीन लगाई जा रही है। प्राइवेट हॉस्पिटल में इसके लिए 250 रुपए लिए जा रहे हैं।

मीटिंग में वैक्सीन का खर्च उठाने में राज्यों को शामिल कर आगे भी सभी के लिए वैक्सीन फ्री की जा सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि वैक्सीनेशन का पूरा खर्च केंद्र सरकार ही वहन करे। इसके लिए इंतजाम करने की जिम्मेदारी राज्यों को दी जा सकती है।

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ऐसा भी हो सकता है कि फ्रंटलाइन वर्कर में कुछ और कैटेगरी जैसे वकील, टीचर्स और जर्नलिस्ट को भी शामिल कर लिया जाए। देश में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी। अब तक 3.29 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। इसके लिए मेडिकल सेंटरों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। हफ्ते के सातों दिन वैक्सीन लगाने पर भी सहमति बन सकती है।