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अविश्वसनीय , अद्भुत , अकल्पनीय लेकिन सत्य : इस मंदिर में मणि सहित मौजूद हैं नाग देवता , मुंह और आंख पर पट्टी बांधकर होती है पूजा , आज भी मंदिर का रहस्य बरकरार , रूबरू होइए इस रहस्यमय मंदिर से 

चमोली / भारतीय धर्म और संस्कृति का रहस्य आज भी बरकरार है | गाहें-बगाहें पहाड़ियों पर स्थित ऐसे मंदिरों , गुफाओं और रहस्यमय टीलों का मिलना आज भी जारी है | ऐसा ही एक मंदिर चमोली की पहाड़ी पर स्थित है | हालांकि इस पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर कई मंदिर और धार्मिक स्थल ऐसे है जो रामायण कालीन है | सदियों पुराने ये मंदिर आज भी अपने आप में कई रहस्यों को समेटे हुए है। ऐसे ही मंदिरों में गिना जाता है , चमोली जिले में स्थित लाटू देवता का मंदिर | इस मंदिर में भक्तों को मंदिर के अंदर प्रवेश कर दर्शन करने की इजाजत नहीं है। 

मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में नागराज अद्भुत मणि के साथ आज भी रहते हैं। उन्हें आम लोग नहीं देख सकते हैं। यही नहीं,मंदिर के पुजारी भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं ताकि वह महान रूप देखकर डर न जाएं। स्थानीय लोगों का मानना है कि मणि की तेज रोशनी से इंसान अंधा भी हो सकता है। यही नहीं, एक ओर जहां पुजारी के मुंह की गंध तक नाग देवता तक नहीं पहुंचनी चाहिए वही दूसरी ओर नागराज की विषैली गंध भी पुजारी की नाक तक नहीं पहुंचनी चाहिए। वर्ना कोई भी अप्रिय घटना का अंदेशा बना रहता है | इसके चलते ही इस मंदिर में सिर्फ पुजारी प्रवेश करता है | वो भी अपने मुंह और और आंखों पर पट्टी बांधकर | पूजा पाठ के बाद वो उल्टे पैर वापस लौट जाता है |  

पौराणिक कथाओं के अनुसार नाग देवता को स्थानीय लोग लाटू देवता के नाम से भी पुकारते है | कहा जाता है कि उत्तराखंड की आराध्या देवी नंदा देवी के धर्म भाई यही नाग देवता हैं। ये मंदिर हर 12 साल में होने वाली श्री नंदा देवी राज जात की यात्रा का 12वां पड़ाव भी है। लाटू देवता वांण से लेकर हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं। विशाल पर्वत पर स्थित हेमकुंड साहब सिख्खो का भी पवित्र धर्म स्थल है | यह चारों ओर बर्फ से घिरा हुआ है | वैशाख पूर्णिमा को हर साल यहां स्थानीय मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से लोग आकर शामिल होते हैं। 

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बताया जाता है कि मंदिर के दरवाजे साल में एक बार वैशाख महीने की पूर्णिमा के मौके पर खुलते हैं। जबकि मार्गशीर्ष अमावस्या को कपाट बंद होते हैं। कपाट खुलने के वक्त भी मंदिर का पुजारी अपनी आंख और मुंह पर पट्टी बांधता है। इस दौरान श्रद्धालु देवता के दर्शन दूर से ही करते हैं। इस मंदिर में विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है।

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