
नई दिल्ली: आज वीर बाल दिवस के अवसर पर राजधानी नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत कर बड़ी संख्या में उपस्थित स्कूली बच्चों व युवाओं को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने कहा, कि गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबज़ादों के अद्वितीय साहस, त्याग और बलिदान को याद करते हुए कहा कि उनका बलिदान देश की आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरित करता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साहिबज़ादों का बलिदान केवल इतिहास की घटना नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और मूल विचारों का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “साहिबज़ादों का बलिदान सबको याद रखना चाहिए। वे मुगलों के आगे नहीं झुके। उन्होंने अत्याचार, अन्याय और मज़हबी कट्टरता के सामने अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया।”

प्रधानमंत्री ने स्कूली बच्चों और युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यक्रम में ‘मेरा युवा भारत’ संगठन से जुड़े बड़ी संख्या में युवा मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी ‘जेन-ज़ी’ और ‘जेन-अल्फा’ है और यही पीढ़ी भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। पीएम मोदी ने कहा, “उम्र से कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। इंसान अपने कामों और उपलब्धियों से बड़ा बनता है। कम उम्र में भी ऐसे कार्य किए जा सकते हैं, जो पूरे समाज और देश के लिए प्रेरणा बन जाएं।”

प्रधानमंत्री ने वीर बाल दिवस को भावना और श्रद्धा से भरा दिन बताते हुए कहा कि साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह को बहुत कम उम्र में उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष केवल सत्ता का नहीं था, बल्कि भारत के मूल विचारों और मज़हबी कट्टरता के बीच की लड़ाई थी। यह सत्य बनाम असत्य की लड़ाई थी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि एक ओर दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी थे, तो दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी। उन्होंने कहा कि साहिबज़ादे उम्र में छोटे जरूर थे, लेकिन औरंगजेब और उसकी सत्ता उन्हें डिगा नहीं सकी। उन्होंने कहा, “औरंगजेब और उसके सेनापतियों ने यह भूल कर दी थी कि हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे।




