नई दिल्ली / कोरोना काल में औद्योगिक गतिविधियों के बाद बैंकिंग सेक्टर में भी मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है | दक्षिण भारत के लक्ष्मी विलास बैंक और महाराष्ट्र के मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक इन दिनों मुसीबत में हैं | लोगों को आशंका है कि कही ये दोनों बैंक डूब ना जाये | लिहाजा ग्राहक बैंक में जमा अपनी रकम को लेकर चिंता में है |
बताया जाता है कि लक्ष्मी विलास बैंक और महाराष्ट्र के मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति बेहद खराब हो चुकी है | भारतीय रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक से निकासी पर अंकुश लगाते हुए कहा है कि उसके खाताधारक 16 दिसंबर तक अपने खातों से 25,000 रुपये से अधिक की निकासी नहीं कर पाएंगे | यही नहीं इसके एक दूसरे बैंक DBS Bank India में विलय का भी निर्णय लिया गया है। RBI ने महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक से निकासी पर भी रोक लगाई है |
हाल ही में येस बैंक और पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक की ख़राब माली हालत के चलते भी ऐसी रोक लगायी गयी थी | इन घटनाओं को देखते हुए दूसरे बैंकों के ग्राहकों में भी चिंता काफी बढ़ गई है |देश के सभी बैंक, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र के हों या निजी क्षेत्र के, सीधे आरबीआइ की निगरानी और नियमन से चलते हैं | केंद्र सरकार ने सहकारी बैंकों को भी अब रिजर्व बैंक के नियंत्रण के दायरे में ला दिया है | पहले इन पर राज्यों की सहकारी समितियों का नियंत्रण होता था | इस तरह सभी कॉमर्शियल बैंकों जैसे पब्लिक सेक्टर के बैंक, छोटे वित्तीय बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आदि के लिए नियम-कायदे समान हैं | उन पर कई तरह के अंकुश लगाये गये हैं |
किसी बैंक के विफल होने पर 5 लाख रुपये तक की जमा राशि का बीमा कवर होता है. पहले यह सिर्फ 1 लाख था, लेकिन इस साल फरवरी में मोदी सरकार ने इसे बढ़ाकर 5 लाख किया है | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल का बजट पेश करते समय इसका ऐलान किया था | इस बीमा का मतलब यह है कि आप की बैंक में जमा राशि चाहे जितनी ही क्यों न हो आपको वापस सिर्फ 5 लाख रुपये ही मिलेंगे | यह पांच लाख रुपये वापस करने की गारंटी सरकार देती है | अगर आपकी जमा रकम 5 लाख से कम है तो आपको अपनी पूरी जमा राशि वापस मिल जाएगी | यह गारंटी या बीमा कवर भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली ईकाई जमा बीमा एवं ऋण गारंटी निगम प्रदान करती है |