दिल्ली : जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का आज अंतिम संस्कार हुआ | इस राजकीय अंतिम संस्कार में पीएम मोदी समेत दुनियाभर के 217 देशों के प्रतिनिधि शामिल होने के लिए टोक्यो पहुंचे थे । ये दुनिया का सबसे महंगा अंतिम संस्कार बताया जा रहा है। इसमें 97 करोड़ रुपये खर्च हुए है
बता दें कि शिंजो आबे की आठ जुलाई को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोपी को मौके से ही पकड़ लिया गया था। ऐसे में ढाई माह बाद उनका अंतिम संस्कार क्यों हो रहा है? यह जानकर आपको हैरानी हो रही होगी | न्यूज़ टुडे ने जाना आखिर ऐसा क्यों ? जापान में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया क्या होती है? जानकारों से पता पड़ा कि आठ जुलाई को शिंजो आबे के बाद परिवार ने बौद्ध परंपरा के अनुसार 15 जुलाई को उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन आज जो स्टेट फ्यूनरल यानी राजकीय अंतिम संस्कार हुआ है वह सांकेतिक है। इसमें आबे की अस्थियों को श्रद्धांजलि के लिए रखा गया है |
बताया जाता है कि जापान में लोग बौद्ध परंपरा के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। इसमें परंपरा के तहत , मरने के बाद परिजन मृतक के होंठों पर पानी लगाते हैं। इसे अंतिम समय का जल कहा जाता है।मौत के अगले दिन ‘वेक’ की परंपरा है, जिसमें जान-पहचान वाले लोग इकठा होकर मृतक की बॉडी का आखिरी दर्शन करते हैं। उनसे जुड़ी यादों को साझा करने के लिए पुरुष काले सूट, सफेद शर्ट और काली टाई लगा कर आते हैं। वहीं, महिलाएं काले रंग के कपड़े पहन कर आती हैं। ये लोग मृतक के परिजनों को काले या सिल्वर रंग के लिफाफे में पैसे भी देते हैं। इस दौरान बौद्ध परंपरा के अनुसार मंत्र भी पढ़े जाते हैं।
यहाँ भी हिंदू धर्म की तरह शवों को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है। मतलब शव को जलाने से जुड़ी परंपरा है। जानकार बताते है कि भगवान बुद्ध हिन्दुस्तान से ही नेपाल -चीन होते हुए जापान पहुंचे थे | लिहाजा यहाँ की कई परम्पराए हिंदुस्तानी रीति -रिवाजो से मेल खाती है | अंतिम संस्कार के वक्त यहाँ इलेक्ट्रिक शवदाह गृह के एक चेंबर में ताबूत को धीरे-धीरे खिसका दिया जाता है। इस दौरान परिजन वहां मौजूद रहते हैं। ताबूत के पूरी तरह से चेंबर में जाने के बाद परिजन वापस घर चले जाते हैं। दो से तीन घंटे बाद परिजनों को फिर से बुलाया जाता है | फिर उन्हें मृतक के अवशेष दिए जाते हैं। परिजन चॉप स्टिक से हड्डियों को इकट्ठा करके कलश में रखते हैं। सबसे पहले पैर और फिर सिर की हड्डी कलश में रखी जाती है।
फिर कलश में रखे अवशेष को पारिवारिक कब्र में दफन करते हैं। जापान में कलश में रखी अस्थियों को रखने की परंपरा भी है। इसके लिए कब्र के आकार की आलमारी बनती है। ये बहुमंजिला इमारतें भी होती हैं। 10 से 12 मंजिला इन इमारतों में कब्र के आकार की छोटी-छोटी आलमारी बनाई जाती हैं, जहां लोग अस्थि कलश रखते हैं। समय-समय पर यहां आकर परिजन श्रद्धांजलि भी देते हैं। शिंजो आबे का कलश भी परम्परानुसार रखा गया था | जिसे आज अंतिम संस्कार के तौर पर अंतिम विदाई दी गई |