दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ में 2200 करोड़ के शराब घोटाले समेत भ्रष्टाचार के अन्य अपराधों में नामजद पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ने अपनी रिहाई के लिए अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। देश के सर्वाधिक महंगे वकीलों के चेंबर में इन दिनों उन कारणों की तोड़ निकाली जा रही है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने टुटेजा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। टुटेजा पर शराब नीति घोटाले, अवैध कमीशन वसूली और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप है। शराब घोटाले में लिप्त होने के चलते टुटेजा के अलावा उनके पुत्र यश टुटेजा के खिलाफ भी EOW ने अपराध दर्ज किया है। हालांकि यश टुटेजा की गिरफ्तारी को लेकर एजेंसियों ने अभी कोई कदम नहीं उठाया है। जानकारी के मुताबिक यश टुटेजा भी करोड़ों की संपत्ति के मालिक है।

उनके द्वारा यह संपत्ति वर्ष 2018-2023 के बीच अर्जित की गई है। प्रदेश में इसी दौर में तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा की सरपरस्ती में कई विभागों में सुनियोजित घोटालों को अंजाम दिया गया था। बताते है कि यश टुटेजा कों कागजों में कारोबारी और उद्योगपति दर्शा कर उनके आयकर रिटर्न जमा किये गए थे, चुनिंदा चार्टर्ड एकाउंटेंट ने ‘वन टू का फोर’ और ‘फोर टू का वन’ जैसा नुस्खा आजमाते हुए यश टुटेजा को अरबों की संपत्ति का मालिक बना दिया था।

रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर समेत देश-प्रदेश के कई इलाकों में टुटेजा एंड कंपनी की चल-अचल संपत्ति बताई जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि जांच एजेंसियों ने गिनी-चुनी संपत्ति ही अटैच करने में रूचि दिखाई है। जबकि इस डर्टी कंपनी ने सरकारी तिजोरी पर सेंधमारी के लिए आम जनता ही नहीं बल्कि EOW, IT-ED और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों की आँखों में धूल झोंकने के लिए कोई कसर बाकि नहीं छोड़ी है। टुटेजा के करोड़ों के पहाड़ के नीचे एजेंसियों की कवायत बौनी साबित हो रही है।

यह भी बताया जा रहा है कि 2200 करोड़ के चर्चित शराब घोटाले में आरोपियों से जब्त संपत्ति का आंकड़ा महज दो-ढ़ाई सौ करोड़, घोटाले के सरकारी दावों कों भी मुँह चिढ़ा रहा है। ऐसे में शेष सरकारी रकम की वसूली को लेकर एजेंसियों के प्रयासों पर लोगों की निगाहे टिकी हुई है। जानकारी के मुताबिक ईडी ने अदालत में पेश दस्तावेजों में अनिल टुटेजा को शराब सिंडिकेट का सरगना करार दिया है।

एजेंसी ने अदालत में दिए अपने बयान में दावा किया कि छत्तीसगढ़ में सक्रिय शराब सिंडिकेट में तत्कालीन बघेल सरकार के प्रबंधन में आबकारी विभाग की प्रशासनिक गतिविधियों में अनिल टुटेजा की प्रत्यक्ष भागीदारी के साक्ष्य एकत्रित किये गए हैं। उन्हें इस घोटाले में सह-आरोपी अनवर ढेबर के साथ सक्रिय रूप से शामिल पाया गया है। अनिल टुटेजा को पीएमएलए मामले में पिछले साल 2024 के अप्रैल माह में गिरफ्तार किया था।

जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने टुटेजा की जमानत का विरोध करते हुए अदालत में दावा किया था कि वे आधिकारिक तौर पर आबकारी विभाग का हिस्सा नहीं थे, फिर भी टुटेजा इस विभाग के संचालन में सक्रिय रूप से शामिल थे। एजेंसियों ने बताया कि जांच के दौरान टुटेजा द्वारा 14.41 करोड़ रुपये की प्राप्ति से संबंधित डिजिटल साक्ष्य भी पाए गए हैं। एजेंसी ने कोर्ट से कहा कि घोटाले में सह-अभियुक्त अरुणपति त्रिपाठी की आबकारी विभाग के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्ति में भी टुटेजा की भूमिका कथित तौर पर पाई गई है।

ईडी ने दावा किया कि टुटेजा के गैर-क़ानूनी कृत्यों के कारण राज्य के सरकारी खजाने को ‘‘भारी नुकसान” हुआ था। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी अनिल टुटेजा की जमानत रद्द कर दी है। इसके साथ ही टुटेजा एंड कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सूत्र तस्दीक करते है कि जमानत ख़ारिज किये जाने के बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले के तथ्यों पर गौर फरमाते हुए उसकी तोड़ निकालने के लिए इन दिनों कई महंगे वकील और विधिक जानकार इन दिनों माथा-पच्ची में जुटे है।

दिल्ली के चुनिंदा लॉ चेम्बरों में आरोपियों से जब्त संपत्ति की वापसी को लेकर भी कवायत जोरो पर है। इसके लिए आईटी के कई जानकारों को भी बैठक में शामिल किया गया है। इस बैठक में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव रिहाई फॉर्मूले को अपनाये जाने पर जोर दिया जा रहा है। गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव कों बलौदाबाजार हिंसा आगजनी मामले में सुप्रीम कोर्ट से हालिया जमानत मिली थी।

दस्तावेजों के मुताबिक अभियोजन ने विधायक यादव के खिलाफ अदालत में ना तो काउंटर एफिडेविट दाखिल किया था, और ना ही जमानत के विरोध के लिए कोई ठोस-पुख्ता दलीले पेश की थी। लिहाजा, देवेंद्र यादव की रिहाई सुनिश्चित होने से यह फॉर्मूला अन्य आरोपियों के लिए भी नई उम्मीद की किरण साबित हो रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि शराब घोटाले समेत अन्य मामलों में जेल की हवा खा रहे आरोपियों कों अभियोजन पक्ष से उनके प्रकरणों को लेकर ऐसे ही सहयोग की उम्मीद बंधी है।
वे रिहाई की राह आसान बनाने के लिए विधायक देवेंद्र यादव फॉर्मूला अपनाने पर भी जोर दे रहे है। छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल के खास भागीदार के रूप में कार्यरत रहे तत्कालीन सुपर सीएम टुटेजा अब अपनी रिहाई को लेकर साम दाम दंड भेद जैसी नीतियों का पालन करने के लिए खूब हाथ पांव मार रहे है।बहरहाल, दिल्ली के विधिक गलियारों में तैयार की गई उनकी जमानत याचिका को जल्द ही अदालत के पटल में रखे जाने की तैयारी है।