News Today: टुटेजा ED के कब्जे में,सौम्या चौरसिया जेल में,मुख्यमंत्री बघेल बेल में, आखिर छत्तीसगढ़ में सरकार किसके हवाले ? भ्रष्टाचार के खिलाफ रंग लाई एजेंसियों की मुहिम…

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रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED की कार्यवाही उन ठिकानो से ख़त्म होने की खबर है,जहां कल अर्थात,मंगलवार को शुरू हुई थी। जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ IPS अधिकारी दीपांशु काबरा के रायपुर और भिलाई स्थित आवास पर सामान्य स्थिति बहाल होती नजर आ रही है। बताते है कि उनके बंगले से ED की टीम लौट चुकी है। जानकारी के मुताबिक, रामगोपाल अग्रवाल और गौरीशंकर अग्रवाल के पुत्रो से अलग-अलग पूछताछ करने की खबर आ रही है। छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक और राजनैतिक हलकों में हालिया छापेमारी को लेकर हड़कंप है। 

यह पहला मौका है जब देश के किसी राज्य में इतनी अधिक तादाद में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी घोटालो और सुनियोजित भ्रष्टाचार के मामलों में नामजद किए गए है। बताया जा रहा है कि सुपर सीएम अनिल टुटेजा और उसके पुत्र यश टुटेजा से ED की पूछताछ शुरू हो गई है। बताते है कि उनके ही ठिकानो पर पिता-पुत्र दोनों से पूछताछ की जा रही है। दीपांशु काबरा के आवास पर ED की छापेमारी से नौकरशाही में गहमागहमी है। काबरा की गिनती प्रदेश के चुस्त दुरुस्त IPS अधिकारी के रूप में होती है। 

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा के भी ईडी के दायरे में आने से लोग हैरत में है। बताते है कि पुलिस महकमे में अपनी नपी तुली तजुर्बेकार कार्यवाही को लेकर काबरा अक्सर सुर्ख़ियों में रहते है। बीजेपी की रवानगी के बाद बघेल सरकार ने लगभग साल भर तक दीपांशु काबरा को पुलिस मुख्यालय में बगैर कार्यभार के अटैच रखा था। लेकिन बाद के वर्षो में काबरा मुख्यमंत्री बघेल की “आँखों के तारे” बन गए। 

बघेल सरकार ने पहले परिवहन आयुक्त और फिर उसके साथ जनसम्पर्क विभाग में CPR का पद देकर काबरा को दोहरे प्रभार से लाद दिया। बताते है कि अपनी कार्य क्षमता का परिचय देते हुए काबरा ने भी सरकार की छवि निखारने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। उन्होंने बघेल सरकार के हितो को पूरा करने में अपनी प्रतिष्ठा तक दांव पर लगा दी थी।

जानकारों के मुताबिक इसी कार्यप्रणाली के चलते ही काबरा, बघेल सरकार के रंग में रंगे नजर आने लगे थे। बताते है कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा के निवास पर ED की दस्तक और उनके जांच के दायरे में आने की खबर से प्रशासनिक हलकों में खलबली है। 

बताते है कि दीपांशु काबरा इससे पहले कभी भी विवादों में नहीं रहे। उनकी अब तक की कार्यप्रणाली कभी भी सवालों के घेरे में नहीं रही। संयुक्त मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में काबरा ने उल्लेखनीय कार्य कर महकमे में अपनी विशिष्ट पहचान कायम की थी। बताते है कि काबरा की तर्ज पर कई और अफसर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली का खामियाजा भोग रहे है।

सूत्र बताते है कि मौजूदा दौर में अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारी बघेल सरकार के रवैये से तनाव में है। बताते है कि गैरकानूनी कार्यो के लिए “बघेलखण्ड” का दबाव अधिकारियों की कार्यप्रणाली को विवादित बना रहा है। कायदे-कानूनों को ताक में रखकर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के मामलों से राज्य की नौकरशाही जहां दो-चार हो रही है,वही ED की छापेमारी का सामना भी ऐसे अधिकारियों को करना पड़ रहा है। 

बताया जाता है कि बघेल सरकार में जोखिम वहन करते तक ही अधिकारियों की पूछपरख हो रही है। उनके विवादों में घिरते ही बघेलखण्ड का हाथ पीछे हट जाता है,ऐसे दौर में अधिकारीयों को तन मन और धन से हाथ धोना पड़ता है। बताते है कि IAS समीर विश्नोई का मामला बघेलखण्ड की “नजीर” बन चुका है। बताते है कि बघेलखण्ड के मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को साफ़ कर दिया है कि सौम्या-टुटेजा ने कभी भी गलत कार्य करने के लिए आदेशित नहीं किया था। उनका दावा है कि समीर विश्नोई अपनी करनी का फल भोग रहा है। 

बताते है कि बघेलखण्ड के चक्कर में वरिष्ठ IPS अधिकारी और रायपुर के तत्कालीन SSP शेख आरिफ,SSP प्रशांत अग्रवाल,SP भोजराम पटेल,DIG पारुल माथुर,SP कल्याण एलेसेला,ADG एसआरपी कल्लूरी समेत कई IPS की चैट वायरल हो रही है।

पूर्ववर्ती सरकारों में बेहतर कार्य करने में चर्चित रहे IPS अधिकारी मौजूदा कांग्रेस सरकार में अपराधों के दायरे में है। इनमे से 3 अधिकारी राज्य के कोल खनन परिवहन घोटाले में चार्जशीट किए गए है, आरोपी IPS अधिकारियों की कार्यप्रणाली से अखिल भारतीय सेवाओं की “सेवा” प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपनो पर पानी फेर रही है। 

फिलहाल छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की “उड़ान” आसमान में नई ऊंचाइयां तय कर रही है,वही राज्य के जमीनी हालात दिनों-दिन बद से बदतर हो रहे है। कानून व्यवस्था की कमान ED और CBI के आरोपियों के हाथो में है। वरिष्ठ IPS अधिकारी “बघेलखण्ड” की कठपुतली मात्र बनकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे है,जाहिर है ऐसे में “नौकरी” तो दांव पर लगना ही है।