दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच अंतिम पायदान पर है। इस मामले में नकली होलोग्राम से लेकर आपसी लेनदेन और खुद के फायदे के लिए तैयार की गई, आबकारी नीति का पोस्टमार्टम भी अब हो चूका है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के बयान के बाद ED की टीम अपनी अगली कार्यवाही में जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल पर ED का शिकंजा कसने लगा है। शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों रिटायर्ड प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के तत्कालीन सचिव ए.पी. त्रिपाठी के बाद तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा से ED की पूछताछ जारी है। बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री से पूछताछ का दौर ख़त्म होते ही एजेंसियां पूर्व मुख्यमंत्री बघेल को तलब कर सकती है।
लखमा से प्रारंभिक पूछताछ के बाद घोटालों की रकम के मूल श्रोतों से लेकर आबकारी नीति की आढ़ में अवैध शराब के निर्माण और खरीदी-बिक्री के प्रकरणों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री से भी जल्द पूछताछ सुनिश्चित मानी जा रही है। यह भी बताया जाता है कि शराब की सरकारी दुकानों के अलावा बेवरेज कॉर्पोरेशन में शराब की आपूर्ति और खरीद-फरोख्त का सीधा हिसाब-किताब कारोबारी अनवर ढेबर के साथ में सौंप दिया गया था। आबकारी विभाग का अमला टुटेजा और ढेबर के निर्देश पर कार्यरत था।
अवैध कारोबार के संचालन के लिए मुख्यमंत्री को प्राप्त संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल तत्कालीन सुपर सीएम अनिल टुटेजा के हाथों में सौंपा गया था। जबकि आबकारी सचिव दफ्तर में सिर्फ नीतिगत विषयों और लेनदेन के हिसाब-किताब को तैयार किया करते थे। इनकी सरपरस्ती में आबकारी विभाग के कई अधिकारी गैर-क़ानूनी आदेशों-निर्देशों का पालन कर सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ कर रहे थे। सूत्र तस्दीक यह भी तस्दीक करते है कि पूर्व आबकारी मंत्री ने ED के समक्ष शराब घोटाले का पूरा काला-चिट्ठा खोल दिया है। घोटाले की रकम से प्रति माह मिलने वाली 50 लाख की रकम की प्राप्ति से जुड़े सवालों पर लखमा उस समय बगले झाकने लगे, जब उनके सामने लेनदेन का पूरा ब्यौरा सौंप दिया गया।
यह भी बताया जा रहा है कि लखमा ने अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए यह भी साफ़ किया है कि इस घोटाले की वे एक छोटी सी कड़ी है। असली लूट तो उन लोगों ने की जिनके हाथों में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आबकारी नीति के क्रियान्वयन की बागडोर सौंपी थी। वे सिर्फ विभागीय मीटिंग में बतौर मंत्री उपस्थित रहते थे, सचिव त्रिपाठी दस्तावेजों में उनसे साइन करवाता था। उसमे क्या लिखा होता था, इस बारे में भी उन्हें नहीं बताया जाता था।
उनके मुताबिक असली आबकारी मंत्री ढेबर और टुटेजा थे। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि कवासी लखमा सरकारी गवाह तक बनने को तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि इतना बड़ा घोटाला उनकी पीठ पीछे हो रहा था, इसकी उन्हें भनक तक नहीं लगी। प्रेस-मीडिया में घोटाला उजागर होने के बाद उन्हें इसकी जानकारी हुई थी। इसके साथ ही लखमा के बोल फूटे, टुटेजा-ढेबर ने शराब नीति बनाई, मुख्यमंत्री बघेल ने इसे लागू किया, त्रिपाठी ने साइन करवाए, लुटा इन्होने, फंस गया मैं। उनके मुताबिक आबकारी विभाग के सभी कार्यों में तत्कालीन मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाता था। मुख्यमंत्री की विभाग के बड़े अफसरों से सीधी चर्चा होती थी। वे ना तो ठेकेदारों को पहचानते है और ना ही लेनदेन करने वालों को।
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में लखमा के बयानों के बाद जांच में तेजी देखी जा रही है। रायपुर के ईडी दफ्तर में हाजिर हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके पुत्र हरीश लखमा से एजेंसियों ने शुक्रवार को करीब 9 घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक लखमा पिता-पुत्र ने कई सवालों का जवाब टाल दिया है। कई प्रकरणों के सवालों के जवाब को लेकर उन्होंने अनभिज्ञता भी जाहिर की है। उन्होंने संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेजों को जुटाने और अन्य सवालों का जवाब देने के लिए एजेंसियों से कुछ दिनों की मोहलत मांगी है। शराब घोटाले में अहम कड़ी साबित हुए पूर्व आबकारी मंत्री लखमा के सरकारी गवाह बनने के आसार जाहिर किये जा रहे है।
यह भी बताया जा रहा है कि प्रदेश के सबसे बड़े इस शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की संलिप्ता सीधी-सीधी पाई गई है। हालांकि असलियत पर पर्दा डालने के लिए आबकारी विभाग के कई संदेही-आरोपी अफसरों ने गोलमोल जवाब देकर खानापूर्ति वाले बयान दर्ज कराये है। लखमा से पूछताछ के बाद ED की टीम को उनके सहयोगी और स्थानीय कांग्रेसी नेता सुशील ओझा का इंतज़ार है। उन्हें दुबई में सैर-सपाटे के लिए यात्रा में बताया गया है।
उधर पूर्व आबकारी मंत्री लखमा ने पहले दौर की पूछताछ के बाद ED अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर संतोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि उनके साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई है, अधिकारियों ने चाय-नाश्ते और भोजन के लिए भी उनसे पूछा था। लखमा के बयानों से साफ़ हो रहा था कि ED ने बगैर किसी दबाव के उनके बयान दर्ज कराये है, बयानों की वीडियोग्राफ़ी भी की गई है। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा, “ईडी के द्वारा मांगे गए दस्तावेज़ मैंने उन्हें सौंप दिए हैं।
हालांकि, मेरे पूछे गए सवालों का जवाब ईडी के द्वारा नहीं दिया गया। मुझसे जो कागज मांगे गए थे, वे मैंने जमा किए हैं। कुछ बातें सभी ने पूछी, जिसका मैने जवाब दिया। उन्होंने बताया कि कुछ कागज बाकी हैं, जिन्हें पेश करने के लिए मैंने और कुछ दिन का समय मांगा है। मेरी बेटी और पत्नी ने संपत्ति का ब्योरा दिया है, अभी बड़े बेटे और बहू का देना है। फ़िलहाल, लखमा के बयानों की तस्दीक जारी है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री समेत आबकारी विभाग के संदेही अफसरों को तलब किये जाने की चर्चा जोरो पर है।
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