दिल्ली / रायपुर : छत्तीसगढ़ के कर्णधारो की दिल्ली दौड़ जोरो पर है, रातों रात इधर से उधर, मतलब कभी बिलासपुर हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट, तो फिर 10 जनपथ से लेकर इण्डिया गेट होते हुए, तीस हजारी कोर्ट तक के मार्ग में छत्तीसगढ़ की दास्तान गूंज रही है। ताजा मामला दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के उस फैसले का है, जिसे लेकर चर्चित नौकरशाहो की मुश्किलें कम होने के बजाय और बढ़ गई है।
बताया जा रहा है कि अदालती फरमान को लेकर एक ओर जहां टुटेजा एंड कंपनी आसमान से गिर कर खजूर पर अटक गई है, वही कोर्ट के तकनीकी पहलुओं से आयकर विभाग भी पशोपेश में है। दरअसल कोर्ट के फरमान से राहत किस पक्ष को मिली है, यह अब तक तय नहीं हो पाया है, जबकि अदालत का फैसला कानून के जानकारों की बस्ती से गुजरते हुए पुनः अदालत की दहलीज पर टिक गया है।
बताया जाता है कि तीस हजारी कोर्ट के एक फैसले ने अभियुक्तों और आयकर विभाग दोनों के सामने नई उलझन पैदा कर दी है। कोर्ट के फैसले को कानून के तकाजे पर परखा जा रहा है, बताते है कि दोनों ही पक्षकार न्यायलय के क्षेत्राधिकार को लेकर फिर अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है। पीड़ित सूत्रों के मुताबिक फैसले में ऐसी कोई ठोस इबारत ही दर्ज नहीं है, जिससे तकनीकी आधारों को चुनौती दी जा सके, लिहाजा तीस हजारी कोर्ट के फैसले को लेकर टुटेजा एंड कंपनी सकते में बताई जा रही है।
बताया जा रहा है कि दिल्ली NCR की कई महत्वपूर्ण सडको पर इन दिनों “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” की टोली आये दिन मंडरा रही है। बताते है कि तिहाड़ जेल योग को रायपुर सेंट्रल जेल कारागार में तब्दील करने के लिए कई घोटाले बाज दिल्ली की कई बदनाम गलियों का चक्कर कांट रहे है, इनमें कई पुराने नौकरशाहों, केंद्रीय जाँच एजेंसियों के सेवा मुक्त अधिकारियो और ऐसे दलालो के ठिकाने महत्वपूर्ण बताये जाते है, जहां से न्याय का सौदा भी होता है। दिल्ली के प्रमुख मार्गो पर छत्तीसगढ़ के चर्चित और प्रभावशील लोगो का ताँता लगा हुआ है।
बताया जाता है कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से जुड़े मार्गो पर छत्तीसगढ़ कैडर के कई चर्चित नौकरशाह अपने आकाओं के साथ नजर आ रहे है। बताते है कि राजनेताओ और नामी गिरामी कारोबारियों के साथ सरकारी सेवा का धंधा करने वालो को अब क़ानूनी सलाहकारों की जरुरत पड़ रही है, लिहाजा वे केंद्रीय गृह मंत्रालय से जुड़े विभागों में फर्राटा भरते नजर आ रहे है, उनकी दिल्ली दौड़ खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।
छत्तीसगढ़ में कोल खनन परिवहन घोटाले, DMF और आबकारी घोटाले की पड़ताल शुरू होते ही विमानन इंडस्ट्री में भी बूम है। रायपुर से मुंबई, दिल्ली समेत कई महानगरों के लिए नियमित फ्लाइट रोजाना हाउस फुल चल रही है, अधिकतम किराये के बावजूद कई यात्री बगैर अपना जेब टटोले आसमानी सफर पर है, उन पर लगे पंख देखकर आसमान भी झुकता नजर आ रही है। यह भी बताया जा रहा है कि हवा में उड़ने वाले ज्यादातर लोगो के तार संवैधानिक भवन मुख्यमंत्री कार्यालय और उसकी मालिकाना हक़ प्राप्त अभियुक्त सौम्या चौरसिया से जुड़े हुए है।
बताया जाता है कि घोटालो से जुडी फाइलों की दिल्ली दौड़ में दर्जनों चपरासी हवाई सफर पर है। सूत्र बताते है कि कुपात्रों का टीए डीए के भुगतान का मामला भी गड़बड़ियों और घोटाले की ओर तेजी से बढ़ रहा है। जानकारी के मुताबिक चपरासी-भृत्य जैसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी हाथो में फाइल-बैग, लैपटॉप लटकाये साहब के साथ दिल्ली दौड़ में शामिल बताये जाते है।
जनता की गाढ़ी कमाई से लबालब सरकारी तिजोरी से हवाई यात्राओं के नाम पर सर्वाधिक लाभ उठाने वालो की सूची में अव्वल नाम और नंबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके कुनबे का है, उनके साथ बड़ी संख्या में ऐसे कुपात्र भी शामिल है, जिनके हवाई खर्च को सरकारी यात्राओ में शामिल कर गैरकानूनी ढंग से लगातार भुगतान किया जा रहा है।
सूत्र बताते है कि कुपात्रों के करोडो के भुगतान पर होने वाला व्यय जनसंपर्क विभाग, पुलिस, ख़ुफ़िया तंत्र के लिए आबंटित रकम (SS FUND) और विमानन विभाग के मत्थे मढ़ दिया गया है। बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रभार वाले सभी विभाग उनकी अगुवाई में आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे है।
विमानन विभाग का भ्रष्टाचार तो सीएम बघेल को ही मुँह चिढ़ा रहा है। विभाग से प्राप्त आधिकारिक और पुष्ट जानकारी के मुताबिक शपथ लेने के उपरांत से लेकर वर्तमान क्षणों, समाचार लिखे जाने तक मुख्यमंत्री बघेल और उनकी टोली जिस सरकारी भुगतान वाले हवाई जहाज और हेलीकाप्टर का उपयोग कर रहे है, उसका विधिवत टेंडर आज दिनांक तक भी नहीं हुआ है।
विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले साढ़े चार सालो से उड़नखटोलों का टेंडर-निविदा लंबित रहने से सिर्फ रेट कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर विमानन कंपनियों से हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर किराये पर लिए जा रहे है। इनका भुगतान भी प्रतिघंटे की तय दरों से कहीं अधिक दरों पर किया जा रहा है। इससे उन विमानन कंपनियों की बल्ले-बल्ले हो गई है, जिनके हाथो में मुख्यमंत्री का हाथ बताया जा रहा है।
बताते है कि मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी तौर पर इस्तेमाल किये जा रहे उड़नखटोलों के अलावा पुलिस महकमे के लिए इस्तेमाल हो रहे हेलीकॉप्टर भी बगैर किसी विधिवत टेंडर निविदा के आसमान पर मंडरा रहे है। अवैध उड़ानों पर पुलिस मुख्यालय द्वारा साल दर साल करोडो का भुगतान किया जा रहा है। यह घोटाला भी सीएम बघेल की अगुवाई में जमीन से लेकर आसमान तक अंजाम दिया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार अब क़ानूनी कारोबार का रूप ले चूका है, इसमें मुख्य भूमिका सौम्या चौरसिया, अनिल टुटेजा और विवेक ढांड की बताई जा रही है, बताते है कि छत्तीसगढ़ में हेलीकाप्टर और विमान उपलब्ध कराने वाली कंपनी मालामाल हो गई है, उसने मुख्यमंत्री बघेल के सहयोग से कई हेलीकाप्टर और विमान अपने बेड़े में शामिल कर लिए है।
यह भी बताया जा रहा है कि घोटालेबाजो की एविएशन इंडस्ट्री में आये बूम से बघेलखंड के बेनामी हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर को सरकारी खजानो हो रहा भुगतान चर्चा में है। बताते है कि छत्तीसगढ़ सरकार के पास अपना खुद का हेलीकाप्टर नहीं है, बावजूद इसके पायलट और तकनिकी स्टाफ को ढोया जा रहा है। बताते है कि दोनों का अनुबंध ख़त्म करने के बजाय प्रतिमाह लगभग 50 लाख रुपये की रकम लुटाई जा रही है।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में चक्कर कांट रहे घोटालेबाजो का राज्य के सबसे बड़े आबकारी घोटाले में भी हाथ बताया जा रहा है। बताते है कि सैंकड़ो करोड़ की आयकर चोरी और नामी बेनामी संपत्ति के खुलासे के बाद आयकर विभाग ने राज्य के प्रमुख नौकरशाहों के खिलाफ आपराधिक मुक़दमा दायर कराने के मामलो को हरी झंडी दे दी है।
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में प्रमुख रूप से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सभी खास अधिकारियों की कार्यप्रणाली से अदालत समेत भारत सरकार की सम्बंधित जांच एजेंसियों को भी अवगत कराया जा रहा है। सूत्र बताते है कि छत्तीसगढ़ महतारी के लुटेरों की खैर नहीं। फ़िलहाल तो तीस हजारी कोर्ट का आदेश दो नम्बरियो पर भारी पड़ रहा है।