ग्वालियर / मध्यप्रदेश में जयोतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने से पार्टी को खोई हुई सत्ता तो मिल गई , लेकिन सरकार और संगठन के भीतर नया बवाल भी शुरू हो गया है | सिंधिया समर्थकों और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों के बीच अब तलवार खिंचती नजर आ रही है | हैरत वाली बात नहीं होगी कि जल्द ही पार्टी के भीतर नया घमासान शुरू हो जाए | करीब 18 साल तक कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भले ही बीजेपी के राज्यसभा सांसद , बन गए हो | लेकिन अभी भी वे बीजेपी में पूरी तरह से आत्मसात नहीं हो पाए है | कई इलाकों में उनकी स्वीकार्यता पार्टी कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रही है | हालांकि सिंधिया को बीजेपी जॉइन किये बहुत ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है, लेकिन पार्टी में दाखिल होने के बाद से राज्य के कुछ बड़े बीजेपी नेताओं से उनकी दूरियां लगातार बढ़ रही हैं | बताया जा रहा है कि सिंधिया और तोमर के बीच अब सियासी घमासान तेज हो गया है |
मध्य प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी कराने में राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की भले ही बड़ी भूमिका हो | केंद्रीय नेतृत्व उन्हें हाथों हाथ ले रहा हो , लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग के कई इलाकोंमें सिंधिया और तोमर समर्थकों के बीच सियासी घमासान धरातल पर दिखाई देने लगा है | कई मौकों पर दोनों ही नेताओं के समर्थकों की टकराहट देखने को मिल रही है | कई ऐसे मौके आ रहे है जब पार्टी के कार्यक्रम में एक दूसरे के समर्थक नदारद रहना ही मुनासिब समझ रहे है | लेकिन दोनों ही वाक्यों में सिंधिया समर्थक मंत्रियों की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है |
मुरैना संसदीय सीट में हाल ही में जहरीली शराब पीने से 25 लोगों की मौत हुई थी , सिंधिया ने इन गांव में पहुंचकर पीड़ितों के परिजनों का न केवल दर्द बांटा बल्कि प्रभावितों के परिवारों को अपनी तरफ से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी | ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रभावितों के बीच पहुंचकर भरोसा दिलाया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से राज्य सरकार कोताही नहीं बरतेगी | उन्होंने कहा कि वे लोगों के सुख में भले खड़े न हो मगर संकट के समय उनके साथ हैं | दरअसल मुरैना संसदीय सीट से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सांसद है | दिल्ली में किसान आंदोलन के चलते तोमर लोगों के बीच नहीं पहुंच पाए | हालांकि दिल्ली से ही उन्होंने मृतकों के प्रति शोक संवेदनाएं प्रकट की थी | उधर इस इलाके में सिंधिया की सक्रियता से तोमर समर्थकों की नीदं हराम है | मुरैना और ग्वालियर प्रवास के दौरान भाजपा का कोई बड़ा नेता सिंधिया के साथ नजर नहीं आया | भारत सिंह कुशवाहा समेत संगठन से जुड़े कई नेता मुरैना में मौजूद रहे , लेकिन उन्होंने सिंधिया के दौरे से दूरी बनाए रखी |
अलबत्ता सिंधिया ने लोगों के बीच पहुंचने में देरी नहीं की | उनके साथ भले ही बीजेपी के स्थानीय नेता ना रहे हो लेकिन कांग्रेस छोड़कर उनके साथ भाजपा में शामिल हुए तमाम बड़े नेता और मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, सुरेश राठखेड़ा, ओ पी एस भदौरिया आदि दौरे में मौजूद रहे |
उधर मुरैना में सिंधिया की सक्रियता देखकर तोमर को भी अपने संसदीय क्षेत्र का रुख करना पड़ा | सिंधिया के दौरे के अगले दिन ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शराब कांड से प्रभावित परिवारों के बीच पहुंचे | उन्होंने भी सिंधिया की तर्ज पर उनकी पीड़ा को सुना | लेकिन तोमर के इस प्रवास के दौरान सिंधिया समर्थक कोई भी मंत्री उनके साथ नजर नहीं आया | जबकि सभी मंत्री इस दिन ग्वालियर में मौजूद थे | सिंधिया की तर्ज पर पीड़ितों से रूबरू होते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि घटना वाले दिन मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की और मैं लगातार दूरभाष पर संपर्क में रहा | जो भी दोषी है, उन पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है | इस दुख की घड़ी में हम सबको दुख बांटने की जरूरत है. इस घटना से लोग सबक लेंगे और इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो | हालांकि पीड़ितों को आर्थिक सहायता देते हुए तोमर नजर नहीं आये |
राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि सिंधिया और तोमर के बीच दूरियां बढ़ने की शुरूआत तो उपचुनाव के दौरान ही शुरू हो गई थी | वे कहते है कि सिंधिया को निपटाने के लिए बीजेपी का एक धड़ा पूरी तरह से सक्रीय रहा | लेकिन महाराज और शिवराज सिंह चौहान ने भी कच्ची गोटी नहीं खेली थी | लिहाजा नतीजे आने के बाद दोनों की जोड़ी चर्चा में है | मुरैना-ग्वालियर की सियासी जंग के बीच मध्यप्रदेश सरकार में सिंधिया प्रभावशाली बताये जा रहे है | भोपाल में प्रदेश कार्यसमिति के पदाधिकारियों के आयोजित पदभार ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने सिंधिया की खुलकर सराहना की थी | उन्होंने राज्य में भाजपा की सरकार बनने का श्रेय भी सिंधिया को दिया था | इससे साफ़ है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया मिलकर 2023 में भी कोई नया गुल खिलाएंगे |