मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल होना बना मुसीबत , 400 लोगों को क्वारंटाइन होने के निर्देश , शमशान घाट में सभी ने मृतक को दी श्रदांजलि , परिजनों समेत कई ने चरण छूकर दी अंतिम बिदाई , इससे पहले की घर पहुँचते अस्पताल के एक फोन कॉल ने सबके उड़ा दिए होश  

0
8

मुंबई वेब डेस्क / महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है | सबसे खराब हालत मुंबई की है | यहां ऐसे भी लोग है , जो मेडिकल गाइडलाइन को अभी भी हल्के में ले रहे है | उन्हें लग रहा है कि अनलॉक होने के बाद खतरा टल गया है | तभी तो एक नामी-गिरामी शख्स की मौत के बाद मात्र 20 लोगों के बजाये 400 से ज्यादा लोग उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुए | उन्हें पता था कि मरने वाला शख्स लिवर की समस्या से गुजरा है | लिहाजा उसे अंतिम बिदाई देने के लिए भारी भीड़ जुटी | सामान्य लोगों के अलावा व्यापारियों और उद्योग जगत से जुड़े कई लोगों ने अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया | मुंबई में एक व्यक्ति की 15 दिन तक इलाज होने के बाद मौत हो गई |

बताया जाता है कि 55 वर्षीय यह शख्स   लीवर की समस्या के चलते वसई के एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट था | मौत के बाद अस्पताल ने उनकी डेडबॉडी परिजनों को सौंप दी | परिवारवालों ने परंपरानुसार उसके अंतिम संस्कार की तैयारी की | इस दौरान समाज एवं चिर परिचित सभी लोगों को अंतिम संस्कार की सूचना दी गई | मोक्ष धाम में घर वालों से लेकर करीब 400 से ज्यादा लोग शामिल हुए | करीब दो ढाई घंटे तक शमशान घाट में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया संपन्न हुई | बताया जाता है कि अंतिम संस्कार के बाद जैसे ही लोग अपने घरों के लिए रवाना हुए उन्हें व्हाट्सअप और मोबाइल कॉल के जरिये सूचना मिली कि उस मृतक व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है | यह सूचना किसी परिजन से नहीं बल्कि अस्पताल की ओर से दी गई थी | कई लोगों ने फौरन इसकी तस्दीक की | जब उन्हें हकीकत पता पड़ी तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई | 

बताया जा रहा है कि कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने की सूचना कार्डिनल ग्रासिअस मेमोरियल हॉस्पिटल ने दी थी | पड़ताल करने पर पता चला कि अस्पताल वालों ने व्यक्ति की मौत के बाद उसकी डेडबॉडी को कोरोना टेस्ट के लिए भेजा था | लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी जब रिपोर्ट नहीं आई तो उन्होंने इसे नेचुरल केस हिस्ट्री मानते हुए शव को उसके परिजनों को सौंप दिया | पीड़ित परिजनों के मुताबिक उन्हें अंतिम संस्कार के घंटों बाद अस्पताल ने बताया | उनकी दलील है कि अस्पताल ने अंतिम संस्कार के दूसरे दिन फोन करके बताया कि मृत व्यक्ति की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है |

उधर मामले के तूल पकड़ने के बाद वसई के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर बालसाहेब जाधव ने बताया कि अंतिम संस्कार के अगले दिन कोरोना रिपोर्ट आई थी |  उन्होंने कहा कि इस बारे में अस्पताल और नगर निगम को नोटिस भेजा गया है | उन्होंने कहा कि बिना कोरोना रिपोर्ट आए परिजनों को डेडबॉडी सौंपने का कारण अस्पताल से पूछा गया है | उधर इस घटना को लेकर  अस्पताल प्रशासन ने किसी भी चूक से इनकार किया है | अस्पताल प्रशासन की दलील है कि लीवर की समस्या के चलते मरीज 15 दिन पहले भर्ती हुआ था | इस दौरान उसका कोरोना का टेस्ट करवाया गया था , रिपोर्ट नेगेटिव आई थी | अस्पताल के मुताबिक मरीज में कोरोना के कोई लक्षण भी नहीं थे | अस्पताल प्रशासन का कहना है कि डेडबॉडी सौंपने से पूर्व परिजनों को भी कोरोना से संबंधित निर्देश दिया गया था | यही नहीं बॉडी को पैक करके सौंपा गया था | उधर अंतिम संस्कार में शामिल हुए कई लोगों की सांसे फूली हुई है | वे स्वयं क्वारंटाइन होने में अपनी भलाई समझ रहे है |