जगदलपुर / पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने बोधघाट परियोजना को आदिवासी हितों के खिलाफ और पेशा कानून का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा कि काफी सोच समझ कर स्वर्गीय इंदिरा गाँधी ,राजीव गाँधी , संयुक्त मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह और एआईसीसी ने बोधघाट परियोजना को ख़ारिज किया था। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से कई संरक्षित आदिवासी जनजातियां प्रभावित होंगी। बस्तर का पर्यावरण भी बुरी तरह से बिगड़ेगा।
नेताम ने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल की इस योजना को लागू करने की दिलचस्पी काफी हैरत भरी है। उन्होंने पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा दिए गए बयान पर दुख जताया है। नेताम ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के बयान से आहत हैं।नेताम ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं कि अरविंद नेताम अपनी पूरी जिंदगी जी चुके हैं, पूरा लाभ ले चुके हैं, तो यह बात मुझे समझ नहीं आई कि इसका आशय क्या है?
विश्राम भवन में पत्रवार्ता लेकर अरविंद नेताम मुख्यमंत्री के बयान की चर्चा करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल का बयान मुख्यमंत्री पद की मर्यादा के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से सार्वजनिक जीवन में जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों को बहुत सोच समझकर मीडिया के सामने बयान देना चाहिए क्योंकि एक-एक शब्द की व्याख्या की जाती है। नेताम ने बघेल के बयानों का जिक्र करते हुए कहा कि जहां तक पूरा लाभ लेने की बात है तो पिता भी राजनीति में रहे और विधायक भी बने। शुरू से संपन्न परिवार था।
नेताम ने कहा कि राजनीति, सरकारी नौकरी में रहने वाले की आर्थिक स्थिति में बदलाव आता है इसमें कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि संदर्भ राजनैतिक बयानबाजी की हो तो समस्या नहीं है। मैंने लंबा समय सार्वजनिक जीवन में राजनीति में बिताया है। नेताम ने कहा कि उन्होंने राजनीति बहुत पहले छोड़ दी थी। राहुल गांधी ने बुलाकर कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय होने को नहीं कहा होता तो शायद दोबारा राजनीति में नहीं आते। नेताम ने कहा कि बेहतर हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राहुल गांधी को बोल दें तो मैं वैसे भी राजनीति छोड़ दूंगा। आज भी मेरी रूचि राजनीति में बहुत कम है।उनके मुताबिक उनका समाजिक कार्यो में ज्यादा समय बीत रहा है।
अरविंद नेताम ने कहा कि राजनीति में सक्रिय रहकर एक जनप्रतिनिधि के रूप में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम करने का मौका मिला। ये ऐसे प्रधानमंत्री थे जो जनप्रतिनिधियों और समाज के लोगों की बात सुनते थे और निराकरण करते थे। नेताम ने बताया कि उनके आग्रह पर आदिवासी क्षेत्रों के लिए आबकारी नीति में परिवर्तन इंदिरा जी ने किया था। बस्तर में पाइन रोपण की नीति बंद कर दी गई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बोधघाट परियोजना का उन्होंने विरोध नहीं किया।
उन्होंने आदिवासियों के विस्थापन, पर्यावरण और वन को होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया था। आगे भी इस विषय पर चिंता जाहिर करते रहेंगे। केंद्र की तत्कालीन राजीव गांधी की सरकार ने बोधघाट परियोजना यदि अरविंद नेताम के कहने पर बंद किया था, इससे संबंधित किसी के पास भी कोई रिकार्ड है तो बता दें।पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह प्रदेश कांग्रेस द्वारा सत्ता और संगठन के बीच समन्वय के लिए गठित समिति के सदस्य हैं। समिति की अब जब भी बैठक होगी आदिवासियों के उत्थान और विकास के लिए सरकार को सुझाव जरूर दूंगा। पत्रवार्ता में छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व विधायक राजाराम तोड़ेम और समाज के कार्यकारी जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप भी मौजूद थे।