
रायपुर / छत्तीसगढ़ के संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत इन दिनों पूरी तरह से आदिवासी रंग में रंगे हुए है | क्यों ना हो आदिवासी परिवार में उन्होंने जो जन्म लिया है | बचपन से लेकर अब तक आदिवासी संस्कृति और सरोकार को करीब से देखते हुए उन्होंने इसे ना केवल गोल्बल वार्मिंग से बचाव वाला समुदाय करार दिया है बल्कि जल , जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए आदिवासी समुदाय की परंपराओं को मिल का पत्थर बताया है | अमरजीत भगत के मुताबिक राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन सिर्फ एक कदम नहीं है बल्कि इसके आगे की भी रुपरेखा तय की गई है | उनके मुताबिक जिस तेजी से प्राकृतिक संसाधनों का दुरूपयोग हो रहा है , उससे ग्लोबल वार्मिग का खतरा सम्पूर्ण विश्व पर मंडरा रहा है | उन्होंने बताया कि आदिवासियों का सम्पूर्ण जीवन भौतिक संसाधनों के बजाये जल , जंगल ,जमीन जैसे प्राकृतिक वातावरणों पर निर्भर होता है | यही आदिवासी प्रकृति के असली संरक्षक साबित हुए है | उन्होंने बताया कि प्रकृति को कैसे संरक्षित रखा जा सके , इस बारे में भी विस्तृत चर्चा होगी |

अमरजीत भगत के मुताबिक साइंस कॉलेज पर आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव पर केंद्रित आदिवासी समाज के साहित्यकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों की तीन दिवसीय संगोष्ठी न्यू सर्किट हाउस में रखी गई है। इसमें भारत के आदिवासियों की संस्कृति, परंपरा, रीति-रिवाज एवं साहित्य के जानकार शोधार्थियों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसर्स और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है।

इस समय छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव सिर्फ़ प्रदेश नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय है। छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा और भव्य आदिवासी नृत्य महोत्सव है। इस संबंध में संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने बताया कि 6 अन्य देशों से भी आदिवासी नर्तक दल आयोजन में शामिल हो रहे हैं। इस आयोजन में देश के तीन शोधार्थियों के शोधपत्र पढ़े जाएंगे। ये शोधार्थी देशभर के विश्वविद्यालयों के 183 शोधार्थियों में से चयनित हैं, जिन्होंने आदिवासी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर रिसर्च करके शोधपत्र प्रकाशित किया है। अमरजीत भगत ने छत्तीसगढ़ वासियों से तमाम कार्यक्रमों में शामिल होने का अनुरोध किया है | उन्होंने कहा है कि देश में पहली बार इस तरह का अनूठा कार्यक्रम आयोजित कर आदिवासियों के सरोकारों से तमाम लोगों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है |