नई दिल्ली : ब्लड डोनर सलेक्शन गाइडलाइन को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल बताया है कि ट्रांसजेंडर, समलैंगिकों और सेक्स वर्कर्स को ब्लड डोनेशन से दूर रखा गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने हलफनामा में कहा है कि इस नतीजे पर पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर पहुंचा गया है, विभिन्न अध्ययनों के अनुसार ऐसे लोगों में एचआईवी और हेपेटाइटिस बी या सी का प्रसार अधिक पाया जाता है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने यह हलफनामा ‘थंगजाम संता सिंह बनाम भारत संघ और अन्य’ मामले में दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि विशेषज्ञों ने रक्तदान से दो तरह के लोगों को बाहर रखने के की सिफारिश की है। कई यूरोपीय देशों में समलैंगिक पुरुषों को इसी तरह रक्तदान से बाहर रखा गया है।
सरकार द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है: “दिशानिर्देशों के तहत बाहर किए गए व्यक्तियों की श्रेणी वे हैं जिन्हें हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण फैलने का अधिक खतरा रहता है। यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि ट्रांसजेंडर्स, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष और महिला यौनकर्मियों को एचआईवी, हेपेटाइटिस का खतरा अधिक रहता है।” हलफनामे में लिखा है कि इस तरह के मुद्दों को सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से देखने की जरूरत है, न कि केवल एक व्यक्तिगत अधिकार के नजरिए से।