नई दिल्ली: News Today : मणिपुर में बिगड़े हालात के मद्देनजर गृह मंत्रालय लगातार राज्य की स्थिति पर नजर बनाए हुए है. गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली से लगातार मणिपुर में सुरक्षा व्यवस्था के हालात की समीक्षा कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1500 अर्धसैनिक बलों की तैनाती राज्य में की है, इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह ने 2 बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और आला अधिकारियों के साथ मीटिंग कर चुके हैं. गृहमंत्री को आज कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए जाना था, लेकिन वह नहीं जा रहे हैं. आइए जानते हैं मणिपुर के हालात पर अब तक के 10 बड़े अपडेट क्या हैं…
भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमान C-17 और AN-32 ने असम के दो बेस से सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ियों को मणिपुर पहुंचाया है. राज्य में हालात सामान्य करने के लिए सेना सभी स्टेक होल्डर के साथ समन्वय में काम कर रही है. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से सभी समुदायों के नागरिकों को सुरक्षित निकालने का काम 3 और 4 मई की पूरी रात जारी रहा.
भारतीय सेना के प्रवक्ता के मुताबिक अब तक 9000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. चुराचांदपुर व अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षाबलों का फ्लैग मार्च जारी है. सीआरपीएफ और असम राइफल्स की टुकड़ियां भी मोर्चे पर तैनात हैं. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों ने अपनी स्थिति मजबूत कर ली है और दंगे को नियंत्रण करने में सफलता पाई है.
कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने मणिपुर जाने वाली सभी ट्रेनों को रोक दिया है. एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ‘स्थिति में सुधार होने तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं कर रही है. मणिपुर सरकार द्वारा ट्रेन की आवाजाही बंद करने की सलाह के बाद यह निर्णय लिया गया है. चार ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है. प्रारंभ में, यह फैसला सिर्फ 5 और 6 मई के लिए भारतीय रेलवे ने लिया है.’
भारतीय सेना ने नागरिकों से केवल आधिकारिक और सत्यापित स्रोतों की सामग्री पर भरोसा करने का आग्रह किया. मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर कई नकली वीडियो सोशल मीडिया में प्रसारित किए जाने के बाद भारतीय सेना की ओर से यह अलर्ट आया है. ऐसे ही एक वीडियो में बताया गया कि उपद्रवियों ने असम राइफल्स की पोस्ट को आग के हवाले कर दिया, जिसे सेना ने झूठ बताया है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शुक्रवार को मणिपुर की यात्रा नहीं करेंगे. गुरुवार को, शाह ने मणिपुर और उसके पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बात की और राज्य में स्थिति की समीक्षा के लिए शीर्ष केंद्रीय और राज्य निकायों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठकें कीं.
तनाव के बीच राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. राज्य के 16 में से 8 जिलों में कर्फ्यू है. गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की कुल 12 कंपनियां मणिपुर पहुंची हैं. इसमें सीआरपीएफ, असम राइफल्स प्रमुख हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा रक्षा मंत्रालय से अनुरोध किए जाने के बाद इन सभी कंपनियों को एयरलिफ्ट किया गया.
गत 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) ने इंफाल घाटी में दबदबा रखने वाले मेइती लोगों द्वारा खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ बुलाया था. इस दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में हिंसा भड़क गई थी. मणिपुर हाई कोर्ट ने मेइती समुदाय की मांग पर राज्य सरकार से विचार करने का निर्देश दिया है.
एक शहर में फैली हिंसा ने जल्द ही मणिपुर के कई जिलों को अपनी चपेट में ले लिया. राज्य में समुदायों के बीच जातीय खाई काफी गहरी है. हिंसा के कारण जिससे हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. उपद्रवियों द्वारा घरों में आग लगा दी गई. धार्मिक प्रतिष्ठानों को भी निशाना बनाया गया. गुरुवार की देर शाम तक हिंसा शांत नहीं हुई, यहां तक कि राज्य भर में सेना और अर्धसैनिक बल के हजारों जवानों ने शांति बहाल करने के लिए राज्य के हिंसा प्रभावित शहरों की सुनसान सड़कों पर मार्च किया. आज सुबह सेना ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है.
फेरजावल जिले के थालन निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक वुंगजागिन वाल्टे पर गुरुवार दोपहर मुख्यमंत्री सचिवालय से लौटते समय भीड़ ने हमला कर दिया. कथित तौर पर यह घटना रिम्स रोड पर हुई जब भीड़ ने सांसद को ले जा रही कार पर हमला कर दिया.
पूरे राज्य को अपनी चपेट में लेने की ओर अग्रसर जातीय हिंसा को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को संघर्ष करते देख, गुरुवार को मणिपुर के राज्यपाल ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए. क्योंकि उपद्रवियों की भीड़ ने घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों को आग लगा दी थी. भाजपा विधायक को भी नहीं छोड़ा और जानलेवा हमला किया.