महंगे तेल और जीएसटी  की कीमतों के विरोध में व्यापारियों ने आज बुलाया भारत बंद, ट्रांसपोर्टर्स का चक्का जाम का ऐलान,जीएसटी डीजल कीमत जैसे मसले , लेकिन व्यापारी संगठनों पड़ी फूट, जानें- क्या हैं दुकानदारों और ट्रांसपोर्टर्स की मांगें

0
4

नई दिल्ली / व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रावधानों की समीक्षा की मांग, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों सहित कई मुद्दों को लेकर आज भारत बंद बुलाया गया है। देश के कई व्यापारी संगठन, ट्रांसपोर्टर्स ने इस बंद का ऐलान किया है। इस दौरान बाजारों और ट्रांसपोर्ट को बंद रखा जाएगा। बंद सुबह छह बजे से रात के आठ बजे तक जारी रहेगा। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) और संयुक्त किसान मोर्चा ने बंद को अपना समर्थन दिया है।

चक्का जाम भी होगा इसीलिए कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयरएसोसिएशन (AITWA) ने 26 फरवरी  यानी आज भारत बंद का आह्वान किया है |  इसके अलावा राज्यों के कई व्यापारी संगठनों ने भी इन मांगों का समर्थन किया है |  AITWA ने आज चक्का जाम करने का निर्णय लिया है |  आज ट्रांसपोर्टर्स अपने वाहन खड़े कर देंगे | इससे माल की ढुलाई और लोगों कीआवाजाही काफी प्रभावित हो सकती है |  ये हैं ट्रांसपोर्टर्स की मांगें दूसरी तरफ ट्रांसपोर्टर्स जीएसटी के तहत आने वाले ई-वे बिल नियमों का विरोध कर रहे हैं |  साथ ही वे डीजल-पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों की भी मुखालफत कर रहे हैं |  असल में जब किसी माल की ढुलाई की जाती है तो जीएसटी के ई-वे बिल पोर्टल पर उसका एक इलेक्ट्रॉनिक बिल तैयार किया जाता है |  जीएसटी में रजिस्टर्ड कोई भी व्यापारी या व्यक्ति किसी वाहन में निर्धारित सीमा से ज्यादा माल बिना ई-वे बिल के नहीं ले जा सकता | 

हर 200 किमी की दूरी के लिए इस बिल की वैधता केवल एक दिन होती है. सेंट्रल जीएसटी एक्ट की धारा 129 के मुताबिक ई-वे बिल न होने पर वाहन जब्त कर लिए जाते हैं |  व्यापारियों का कहना है कि उनके पास सही इनवाइस होने पर भी अगर ई-वे बिल में कोई एरर है तो माल के मूल्य के 100 फीसदी या लगने वाले टैक्स के 200 फीसदी तक का जुर्माना लगा दिया जाता है |  इसी तरह किसी के पास ई-वे बिल न होने पर भी ऐसा ही जुर्माना लगाया जाता है |  ट्रांसपोर्टर्स इस पूरी व्यवस्था को नाकाम बताते हुए इसे खत्म करने की मांग कर रहे हैं |  इसी तरह ट्रांसपोर्टर्स ईंधन और खासकर डीजल के बढ़ते दामों से काफी परेशान हैं |  उनका कहना है कि ईंधन पर टैक्स घटाकर इनके बढ़ते दामों पर अंकुश लगाया जाए और देशभर में इनकी एक समान कीमत हो | 

CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया है कि इसमें महिला उद्यमी, छोटे उद्योग, फेरीवाले, अन्य लोग बंद में शामिल होंगे। हालांकि इस बंद से आवश्यक सेवाएं जैसे मेडिकल दुकानें, दूध, सब्जी की दुकानें प्रभावित नहीं होंगी। कैट ने कहा कि एक करोड़ ट्रांसपोर्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने बंद का समर्थन किया है। हॉकरों के राष्ट्रीय संगठन हॉकर्स संयुक्त कार्रवाई समिति ने भी बंद का समर्थन किया है।ये हैं व्यापारियोंं की मांगें CAIT की मांग है कि जीएसटी नियमों में संशोधन कर टैक्स स्लैब को और सरल बनाया जाए |  कैट ने जीएसटी के कई प्रावधानों को ‘मनमाना’ और कठोर’ बताते हुए उन्हें खत्म करने की मांग की है |  इसके अलावा कैट एमेजॉन जैसे ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कथ‍ित रूप से नियमों के उल्लंघन और मनमानी का भी विरोध कर रहा है और इन पर कार्रवाई करने की मांग कर रहा है |

ये भी पढ़े : छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर पुलिस ने 3 दिन चलाया ‘ऑपरेशन संगम’, 7 माओवादी कैम्प ध्वस्त, नक्सल सामाग्री, विस्फोटक पदार्थ बरामद

 व्यापारी संगठनों मसलन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल और भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कहा कि वे बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं। वहीं फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वी के बंसल ने कहा कि कुछ मांगों के समर्थन में हम दुकानें बंद करने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हमारा मानना है कि पिछले 43 माह के दौरान जीएसटी अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि हम बंद का समर्थन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने सरकार को जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर ज्ञापन दिया है।कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक, पिछले साल 22 दिसंबर और उसके बाद GST नियमों में कई संशोधन किए गए | 

ये भी पढ़े : महिला ने पुलिस कर्मियों पर लगाया अपनी बेटी की हत्या करने का आरोप , एसपी को पत्र लिखकर लगाई इंसाफ की गुहार , कहा – थाने में बुलाकर किया गया था मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित

इनमें अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए गए हैं |  अब कोई भी अधिकारी कोई भी कारण लेकर किसी भी व्यापारी का GST रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड या कैंसिल कर सकता है |  इसके अलावा बैंक खाता और संपत्ति भी जब्त कर सकता है |  खास बात यह है कि ऐसा करने से पहले व्यापारी को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा |  यह व्यापारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है |  कैट का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से महीनों तक व्यापारी काफी परेशान रहे इसके बाद सरकार ने संकट और बढ़ाते हुए जीएसटी के कई ऐसे नोटिफिकेशन जारी कर दिए जिससे व्यापारियों की दिक्कतें और बढ़ गईं |  कैट का कहना है कि बजट में भी कई ऐसे नए प्रावधान किए गए हैं जिससे कारोबार में जटिलता और बढ़ेगी |  कहा गया है कि यदि कोई सप्लायर GSTR-1 में इनवाइस या डेबिट नोट का ब्योरा नहीं देता तो उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाएगा | 

कैट की अन्य प्रमुख मांगें 

एक नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी बनाई जाए

एक अपीलेट ट्राइब्यूनल बनाया जाए

जीएसटी से पहले और बाद के पीरियड के फंसे रिफंड को रिलीज किया जाए

जांच एजेंसियों द्वारा व्यापारियों के उत्पीड़न को रोका जाए

हर जिले में जीएसटी कमिटी का गठन किया जाए

ये भी पढ़े : कोरोना समीक्षा बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा – मध्यप्रदेश में नहीं लगेगा लॉकडाउन , मजदूर दूसरे राज्य न जाएं, गांव में ही देंगे रोजगार

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने किसानों से शुक्रवार के ‘भारत बंद’ में शांतिपूर्ण तरीके से भाग लेने की अपील की है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ट्विटर पर लिखा है कि इस ‘भारत बंद’ में देश भर के 8 करोड़ व्यापारी हिस्सा लेंगे। GST को सरल बनाने की मांग।