Sunday, September 22, 2024
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Vinayaka Chaturthi 2023 : आज ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी, सरल विधि से करें पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र

Vinayaka Chaturthi 2023 : हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य होने का दर्जा प्राप्त है. भगवान गणेश अपने भक्तों को ज्ञान और ऐश्वर्य देते हैं. जेष्ठ के इस महीने में सबसे पहला व्रत विनायक चतुर्थी का होने वाला है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है. इसी तरह से साल 2023 में ज्येष्ठ माह की विनायक चतुर्थी 22 मई को पड़ रही है. इस दिन महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा उपासना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

हिंदू धर्म में भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है. साथ ही व्यक्ति के दुख और संकट भी दूर होते हैं. यदि विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के निमित्त व्रत उपवास रखकर पूरी श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाए. तो जीवन में खुशियां आती हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं. विनायक चतुर्थी पर पूजा का शुभ मुहूर्त तिथि और पूजा विधि.

ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी 22 मई 2020 को रात 11:18 से शुरू होकर 24 मई 2023 को प्रातः 12:57 पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का व्रत 23 मई को रख सकते हैं. इस दिन भगवान गणेश की दोपहर में पूजा करना शुभ होगा.

गणपति पूजा का समय – 23 मई 2023 को सुबह 10:56 बजे से-दोपहर 01: 40 बजे तक.

विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी का व्रत रखने वाले लोगों को प्रातः काल उठकर घर की साफ सफाई कर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें.
इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें.
सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्घ्य दें.
इसके बाद भगवान गणेश की पूजा में पीले फल, पीले फूल, धूप, दीप, अक्षत, चंदन, दूर्वा आदि चीजों से भगवान गणेश की आराधना करें. भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय हैं. इसलिए प्रसाद में मोदक अवश्य भेंट करें. इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जाप करें.

मंत्र

“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

विनायक चतुर्थी के दिन दिन भर उपवास रहें.
व्रत रखने वाला व्यक्ति चाहे तो दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं. शाम को आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें और फलाहार करें.
अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न करके अपना व्रत खोलें.
व्रत खोलने से पहले जरूरतमंद लोगों को अन्न का दान करें.

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